आत्मा और मन की शुद्धता के लिए साधना जरूरी: स्वामी चिदानंद

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ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के चौथे बुधवार को साधकों ने योग की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास किया। विशेषज्ञों ने योग और आध्यात्मिकता पर विशेष चर्चा की। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि जैसे हम प्रतिदिन भोजन करते हैं और जल पीते हैं। वैसे ही हमें अपने आत्मा और मन की शुद्धता के लिए नियमित रूप से ध्यान और साधना करनी चाहिए। भगवान ने हमें यह जीवन दिया है, और इस जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सुखों तक सीमित नहीं होना चाहिए। हमें अपनी आत्मा की शुद्धि, मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति के लिए भी प्रयत्न करना चाहिए। योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है, यह एक दिव्य प्रक्रिया है, जो हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का कार्य करती है। साध्वी भगवती सरस्वती ने सभी को ध्यान और साधना के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ‘आध्यात्मिक जीवन में संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है। डॉ. एडिसन डी मेलो ने शरीर के आंतरिक स्वास्थ्य और इम्यूनिटी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए उचित आहार, ध्यान और नियमित योग जरूरी हैं, जो शरीर को स्वस्थ बनाता हैं। रामकुमार और डॉ. कृष्णा नाराम ने आयुर्वेद के माध्यम से आध्यात्मिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद का सही तरीके से पालन करने से शरीर और मन दोनों को शांति मिलती है। यह न केवल शारीरिक बीमारी को दूर करता है, बल्कि मानसिक स्थिति को भी संतुलित करता है।

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