उत्तराखंड में 127 संक्रमितों की मौत, रिकर्ड 7783 नए मामले, 59526 केस एक्टिव
देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं। बुधवार को 7783 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 127 की मौत हुई है। वहीं, 4757 पूरी तरह से ठीक हुए हैं। प्रदेश में अब संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 211834 हो गई है। हालांकि, 144941 संक्रमित पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। वर्तमान में 59526 केस एक्टिव हैं, जबकि 3142 की मौत हुई है। इसके अलावा 4225 मरीज राज्य से बाहर जा चुके हैं।
उत्तराखंड में कोरोना की रफ्तार कम होने का नाम नहीं ले रही है, बल्कि नए मरीजों की संख्या हर दिन तेजी से बढ़ती जा रही है। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मंगलवार को पहली बार प्रदेश में कोरोना के 7028 मामले आए हैं। जबकि 85 मरीजों की मौत भी हुई है। चिंता की बात इसलिए भी है कि सैंपल पजिटिविटी रेट 18़47 फीसद रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, देहरादून में कोरोना के 2789 मामले आए। ऊधमसिंह नगर में 833, नैनीताल में 819 व हरिद्वार में 657 लोग संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा पौड़ी गढ़वाल में 513, पिथौरागढ़ में 231, बागेश्वर में 215, टिहरी गढ़वाल में 200, अल्मोड़ा में 170, चंपावत में 163, उत्तरकाशी में 153, चमोली में 150 व रुद्रप्रयाग में 135 मामले आए हैं। वहीं, देहरादून नगर नघ्गिम के महापौर सुनील उनियाल गामा भी हुए कोरोना संक्रमित, फिलहाल हालत स्थिर है।
उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी के अध्यक्ष संजय कुंडलिया का मंगलवार को कैलाश अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले 15 दिन से अस्पताल में भर्ती थे और कोरोना संक्रमित थे। कुंडलिया पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट थे और कई साल से समाजसेवा से जुड़े थे। वह गरीब एवं मजदूर वर्ग की आवाज बने और समय पड़ने पर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। उनकी इच्छा थी कि उत्तराखंड में क्षेत्रीय दल की सरकार बने। तभी उत्तराखंड के विकास को उच्च स्तर पर ले जाया जा सकता है। उनके असमय निधन से पार्टी के सभी कार्यकर्त्घ्ता शोकाकुल हैं। उन्होंने कुंडलिया को श्रद्घांजलि दी है।
रुद्रप्रयाग निवासी राज्य आंदोलनकारी अवतार सिंह राणा के निधन पर चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति ने शोक जताया है। समिति के केंद्रीय संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि अवतार सिंह राणा ने राज्य आंदोलन के वक्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके स्वभाव के चलते दूर दराज से भी लोग मिलने चले आते थे। लेकिन, कोरोना महामारी ने उनके जीवन को समाप्त कर दिया। राज्य आंदोलनकारी सूरज नेगी ने कहा कि अवतार सिंह राणा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।