उत्तराखंड

केवल तीर्थ पुरोहितों को है अस्थि प्रवाह का अधिकार : प्रदीप झा

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अनावश्यक रूप से विवाद को जन्म दे रही है संस्कृत अकादमी
हरिद्वार। संस्कृत अकादमी द्वारा ऑनलाईन अस्थि प्रवाह और अन्य कर्मकाण्ड कराए जाने का श्री गंगा सभा ने कड़ा विरोध किया है। प्रैस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने कहा कि तीर्थ पुरोहित समाज आदि अनादि काल से अस्थि प्रवाह का कार्य करता चला आ रहा है। केवल कुल पुरोहित ही अस्थि प्रवाह का अधिकार रखता है। संस्कृत अकादमी की ऑनलाईन अस्थि प्रवाह कराने की घोषणा की घोर निंदा करते हुए कहा कि तत्काल उन्हें इस निर्णय को वापस लेना चाहिए। तीर्थ पुरोहित के अधिकारों का हनन, उल्लंघन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। केवल तीर्थ पुरोहित ही पौराणिक काल से अस्थि प्रवाह व अन्य धार्मिक कर्मकाण्ड करते चले आ रहे हैं। प्रदीप झा ने यह भी कहा कि संस्कृत अकादमी को संस्कृत के प्रचार प्रसार व उसके संवद्र्धन के लिए काम करना चाहिए। इस तरह की घोषणा करना तीर्थ पुरोहित समाज की भावनाओं को आहत करने वाली है। वर्षो से परंपराओं का निर्वहन तीर्थ पुरोहित समाज करता चला आ रहा है। धार्मिक कार्यो में हस्तक्षेप किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि तीर्थ पुरोहित बिना किसी शुल्क के केवल यजमान की इच्छा के अनुसार कर्मकाण्ड संपन्न कराते हैं। विदेश में रहे लोगों के धार्मिक कर्मकाण्ड भी पहले से ही संपन्न करा रही है। लेकिन संस्कृत अकादमी के सचिव अस्थि प्रवाह जैसे पुण्य कार्यो का भी व्यवसायीकरण करना चाहते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि तत्काल इस निर्णय को वापस लिया जाए। वरना देश का तीर्थ पुरोहित समाज आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा। जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

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