19 साल में तय न कर सके 12 किमी का सफर
अल्मोड़ा। गांवों को सड़कों से जोड़ने के सरकारी दावों को दूर गांवों की तस्वीर झुठला रही है। आलम यह है कि करीब दो दशक पूर्व 10 से ज्यादा गांवों को बुनियादी सुविधा मुहैया कराने के लिए सड़क स्वीकृत की गई थी। सड़क बनाने के लिए कटान भी किया गया। मगर अब तक इसका निर्माण नहीं हुआ है। पहाड़ी कटाकर आधी अधूरी छोड़ दी गई रोड बरसात में सिरदर्द रही है। वहीं लगभग पांच हजार की आबादी सड़क सुख नहीं भोग पा रही है। लमगड़ा ब्लॉक के सुदूर निरई समेत 10 से ज्यादा गांवों को सड़क से जोड़ने के मकसद से वर्ष 2002 में रोड की मंजूरी मिली थी। शुरुआत में रोड कटान में तेजी दिखी। मगर धीरे-धीरे काम रुकता चला गया। सोलिंग व डामरीकरण के लिए विभाग ने बजट का राग अलाप हाथ खड़े कर दिए। क्षेत्रवासियों ने आवाज उठानी शुरू की। शासन-प्रशासन पर दबाव भी बनाया गया। नतीजतन निरई से जैंती तक सोलिंग का कार्य कराया गया। बाद में स्युनानी से थुवासिमल तक सोलिंग के बाद डामरीकरण भी करा दिया गया। मगर इसके बाद शेष दो किमी भगवान भरोसा छोड़ दिया गया है। अब निरई गांव तक रोड के लिए क्षेत्रवासी फिर मुखर हो उठे हैं। क्षेत्रवासी जगदीश चंद्र भट्ट व ध्यान सिंह के अनुसार कई बार मांग दोहराई जा चुकी है। कोई सुनवाई नहीं हो रही।
सीएम पोर्टल पर शिकायत भी बेअसर
सड़क न बनने की शिकायत सीएम पोर्टल पर भी की गई है। जवाब मिला कि विभाग को इस कार्य के लिए बजट नहीं मिला है। ग्रामीणों ने कहा कि अल्मोड़ा दौरे पर आए तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत डामरीकरण की घोषणा कर गए। मगर वह घोषणा भी हवाई साबित हुई। ग्राम प्रधान गीता देवी, पूर्व प्रधान विमला देवी, जगदीश चंद्र भट्ट, दलीप सिंह, दीपक बोरा आदि दो टूक चेताया कि यदि शेष सड़क का निर्माण जल्द शुरू न कराया गया तो सड़क पर उतरेंगे। इधर विभागीय अधिकारियों से संपर्क साधा पर बात नहीं हो सकी।