शिमला , हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में इस मौसम की पहली भारी बर्फबारी और अचानक गिरते पारे से चंबा जिले में कम से कम 250 भेड़-बकरियों की मौत हो गयी है। इस बर्फबारी ने न केवल हिमाचल के मौसम को प्रतिकूल बना दिया है बल्कि स्थानीय चरवाहे समुदायों की बेबसी को भी उजागर कर दिया है। राज्य अभी तक इस साल के मानसूनी सीजन की विभीषिका से उबर नहीं पाया है जिसमें न केवल भारी जनहानि हुयी बल्कि अरबों रुपयों की सरकारी एवं निजी संपति भी तबाह हो गयी थी।
ताजा बर्फबारी ने पर्यटन में सुधार की उम्मीद तो जगाई है लेकिन इसने चंबा के कठिन जरासू दर्रे से गुजर रहे प्रवासी चरवाहों (गद्दियों) के एक समूह पर कहर बरपा दिया है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार मूल रूप से कांगड़ा जिले के ग्वालटिक्कर के रहने वाले ये चरवाहे शुक्रवार को 600 भेड़-बकरियों के झुंड को लेकर ऊंचाई वाले दर्रे से गुजर रहे थे, तभी अचानक हुयी भारी बर्फबारी और उसके बाद हुये हिमस्खलन ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया।
जानकारी मिलने पर पंचायत प्रधान अशोक कुमार ने तत्काल ग्रामीणों की एक टीम को बचाव अभियान के लिए तैयार किया। टीम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें धराड़ी में रावी नदी पार करना भी शामिल था, जहां जल स्तर बढ़ गया था। स्थानीय लोगों ने हार न मानते हुए फंसे हुए चरवाहों तक पहुंचने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर एक अस्थायी लकड़ी का पुल बनाया।
ग्रामीणों ने एक कठिन अभियान के बाद दो चरवाहों- कृष्ण कुमार और जोगेंद्र और बाकी मवेशियों को बचा लिया। बर्फ में लंबे समय तक रहने के कारण दोनों के शरीर के अन्य हिस्सों में जकड़न को देखते हुये उन्हें होली अस्पताल में प्रारंभिक उपचार दिया गया, जिसके बाद उन्हें बेहतर देखभाल के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है।