जयपुर-आगरा हाईवे पर भीषण हादसा : परीक्षा देकर लौट रहे 5 लोगों की मौत, एंबुलेंस जाम में फंसी

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दौसा , दौसा जिले के सिकंदरा थाना क्षेत्र में शुक्रवार शाम एक दर्दनाक सड़क हादसे में दो सगी बहनों समेत पांच लोगों की जान चली गई। हादसा जयपुर-आगरा नेशनल हाईवे-21 पर कैलाई-दुब्बी गांव के पास उस वक्त हुआ जब लोहे के गार्डर से भरा एक बेकाबू ट्रेलर डिवाइडर पार कर सामने से आ रही कार से भिड़ गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार बुरी तरह पिचक गई और दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बाकी तीन घायल जयपुर ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ बैठे।एग्जाम के बाद लौट रहे थे गांव
मृतकों की पहचान यादराम मीणा (36), मोनिका मीणा (18), अर्चना मीणा (20), वेदिका मीणा और मुकेश महावर (27) के रूप में हुई है। ये सभी लोग जयपुर के बस्सी स्थित निर्वाण कॉलेज में परीक्षा दिलवाकर अपने गांव भजेड़ा और महवा लौट रहे थे। कार को खुद यादराम चला रहे थे, जो महवा में एक लाइब्रेरी और कोचिंग सेंटर संचालित करते थे।
मौके पर दो की मौत, तीन ने तोड़ा दम रास्ते में
पुलिस के अनुसार, हादसे में यादराम और मोनिका की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि मुकेश, अर्चना और वेदिका गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत दौसा जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से हालत नाजुक होने के कारण तीनों को जयपुर रेफर कर दिया गया।
घाट की गुणी टनल में फंसी एंबुलेंस, गई तीन और जानें
लेकिन दुर्भाग्यवश, जयपुर ले जाते समय एंबुलेंस घाट की गुणी टनल में जाम में फंस गई। ट्रैफिक की सुस्त रफ्तार और उचित एंबुलेंस कॉरिडोर के अभाव में घायलों को समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल सकी। जयपुर पहुंचते ही तीनों को मृत घोषित कर दिया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया – ट्रेलर ने सीधे टक्कर मारी
हादसे के चश्मदीदों ने बताया कि ट्रेलर बेकाबू हो गया था और उसने अचानक डिवाइडर पार कर कार को सीधे टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। घटनास्थल पर पहुंचे स्थानीय लोगों और पुलिस ने तत्काल बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
पीड़ित परिवारों में कोहराम, गांवों में मातम
मृतकों की सूचना मिलते ही उनके गांव भजेड़ा और महवा में मातम छा गया। मोनिका और वेदिका सगी बहनें थीं और पढ़ाई में तेज थीं। उनके परिवारवालों के अनुसार, वे भविष्य में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही थीं।
प्रशासन पर उठे सवाल: क्यों नहीं था एंबुलेंस के लिए ग्रीन कॉरिडोर?
इस हादसे के बाद एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही सवालों के घेरे में आ गई है। जाम में फंसी एंबुलेंस को निकालने के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई थी। एक्सप्रेस वे और नेशनल हाईवे जैसे मार्गों पर एंबुलेंस कॉरिडोर की अनुपलब्धता की कीमत इन तीनों मासूम जिंदगियों ने चुकाई।
सिकंदरा थाना स्॥ह्र अशोक चौधरी ने बताया कि हादसा शाम करीब 5:30 बजे हुआ। ट्रेलर लोहे के गार्डर लेकर तेज रफ्तार में था और चालक का नियंत्रण खो बैठा। हादसे की जांच की जा रही है और ट्रेलर चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
संपादकीय टिप्पणी : इस घटना से यह साफ है कि देश में केवल सड़कें बनाना काफी नहीं है। जब तक सड़क सुरक्षा, स्पीड मॉनिटरिंग, एंबुलेंस रिस्पॉन्स सिस्टम और ट्रैफिक मैनेजमेंट पर समान रूप से ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक ऐसी घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं।
पांच जिंदगियों की यह कीमत सिर्फ एक हादसे की नहीं, सिस्टम की विफलता की देन है।

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