उत्तराखंड के 65 हजार किसानों की पीएम सम्मान निधि पर संकट

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देहरादून(। त्तराखंड में 65 हजार किसानों की प्रधानमंत्री सम्मान निधि संकट में फंस गई है। इन किसानों का अभी तक सत्यापन नहीं हो पाया है। राज्य में कुल दो लाख से अधिक किसानों में से 1.34 लाख किसानों का ही सत्यापन हो पाया है। अब सरकार 65 हजार किसानों के सत्यापन के लिए फील्ड सर्वे करवाया जाएगा। अगर ये किसान गांव में नहीं मिलते हैं तो उन्हें अनुपलब्ध श्रेणी में दर्ज कर दिया जाएगा। पीएम किसान निधि को लेकर भारत सरकार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने वीडियो कॉफ्रेसिंग के जरिए समीक्षा की थी। इसमें पाया गया कि राज्य में 65,494 किसानों का अभी तक सत्यापन नहीं हुआ है।
इनका भौतिक सत्यापन पीएम किसान मोबाइल ऐप के माध्यम से किया जा रहा है। जिनका सत्यापन नहीं हो पाया है, उसमें सबसे ज्यादा 12 हजार किसान हरिद्वार के हैं। अल्मोड़ा के 9073, टिहरी गढ़वाल के 7403, पौड़ी गढ़वाल के 5964, पिथौरागढ़ के 5800 किसान भी इसमें शामिल हैं। उधमसिंहनगर जिले में पीएम किसान सम्मान निधि लेने वाले 17482 किसानों में से 15134 का सत्यापन हो चुका है। परिवार में एक से अधिक ले रहे लाभ एक ही परिवार में एक से अधिक व्यक्ति किसान सम्मान निधि का लाभ ले रहे हैं। सरकार ने ऐसे सभी किसानों की निधि भी रोक दी है। भारत सरकार ने 4541 किसान परिवार के 9082 सदस्यों के सत्यापन का डाटा भी उपलब्ध कराया है। इनमें 5266 सदस्यों का सत्यापन नहीं हो पाया है। ऐसे सबसे जयादा लंबित मामले देहरादून और हरिद्वार में हैं। यहां आशंका है कि परिवार में एक से अधिक सदस्य किसान सम्मान निधि का लाभ ले रहे हैं। वारिसान में देरी से लटक रहे मामले किसान परिवारों के वारिसान बनने में देरी की वजह से भी किसानों के सत्यापन में देरी हो रही है। किसान की मृत्यु के बाद उनके परिवार के ऐसे वारिस को पीएम निधि दी जाती है, जिसके नाम पर कृषि भूमि का स्वामित्व हो। ऐसे 2046 मामलों में 428 मामलों को संदिग्ध मानते हुए जांच की जा रही है। एक ही जमीन पर दो को मिल रही निधि अब तक के सत्यापन में यह भी सामने आया है कि उत्तराखंड में एक ही कृषि भूमि पर दो-दो मालिक किसान सम्मान निधि का लाभ ले रहे हैं। ऐसे 6554 मामलों में यह बात सामने आई है कि कृषि भूमि बेचने के बाद पुराने मालिक अभी भी निधि का लाभ ले रहे हैं और नए मालिक को भी किसान सम्मान निधि मिल रही है। -बयान- पीएम किसान सम्मान निधि में लंबित सत्यापनों को लेकर सभी जिलाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर फील्ड सर्वे में किसान गांव में नहीं मिलते हैं तो इसका उल्लेख ऐप पर कर लिया जाए। साथ ही भारत सरकार ने जिन्हें अपात्र ठहराया है, उनका सत्यापन भी जल्द से जल्द पूरा करने के आदेश दिए गए हैं। रंजना राजगुरू आयुक्त, उत्तराखंड राजस्व परिषद

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