परिसीमन पर स्टालिन की अगुवाई में जेएसी का 7-सूत्रीय प्रस्ताव, संविधान संशोधन की मांग

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नई दिल्ली । चेन्नई में द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (ष्ठरू्य) के नेतृत्व में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में, जॉइंट एक्शन कमेटी (छ्व्रष्ट) ने परिसीमन के मुद्दे पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए एक 7-सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया है। कमेटी ने आगामी परिसीमन प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता की कमी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें शामिल होने वाले प्रमुख हितधारकों, यानी राज्यों के साथ पर्याप्त विचार-विमर्श नहीं किया गया है। प्रस्ताव में मुख्य रूप से निम्नलिखित सात बिंदुओं पर जोर दिया गया है:पारदर्शिता की आवश्यकता: छ्व्रष्ट ने मांग की है कि केंद्र सरकार द्वारा किए जाने वाले किसी भी परिसीमन की प्रक्रिया पूर्ण रूप से पारदर्शी होनी चाहिए। इसमें सभी राज्यों की राजनीतिक पार्टियों, राज्य सरकारों और अन्य संबंधित पक्षों को शामिल किया जाना चाहिए।
संविधान संशोधन पर जोर: कमेटी ने 42वें, 84वें और 87वें संवैधानिक संशोधनों के पीछे की मंशा को रेखांकित करते हुए कहा कि इन संशोधनों का उद्देश्य उन राज्यों की रक्षा करना और उन्हें प्रोत्साहित करना था जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया है। इसलिए, छ्व्रष्ट ने 1971 की जनगणना पर आधारित संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं को अगले 25 वर्षों तक और बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन करने की मांग की है।
राज्यों को सजा न मिले: प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो राज्य जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक लागू कर चुके हैं और जिनकी जनसंख्या का हिस्सा कम हुआ है, उन्हें परिसीमन के आधार पर ‘सजा’ नहीं दी जानी चाहिए। इसके लिए केंद्र सरकार को आवश्यक संवैधानिक संशोधन करने होंगे।
संसदीय रणनीति: छ्व्रष्ट ने घोषणा की है कि प्रतिनिधि राज्यों के सांसदों की एक कोर कमेटी केंद्र सरकार द्वारा किसी भी प्रतिकूल परिसीमन की कोशिश के खिलाफ एक समन्वित संसदीय रणनीति तैयार करेगी और उसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगी।
संयुक्त प्रतिनिधित्व: कोर कमेटी के सांसद मौजूदा संसदीय सत्र के दौरान भारत के प्रधानमंत्री के समक्ष इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक संयुक्त प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करेंगे, जिसमें उनकी मांगों को विस्तार से रखा जाएगा।
विधानसभा प्रस्ताव: बैठक में भाग लेने वाले विभिन्न राज्यों के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि अपने-अपने राज्यों की विधानसभाओं में इस मुद्दे पर उचित प्रस्ताव लाने का प्रयास करेंगे और उन्हें केंद्र सरकार को भेजेंगे।
जन जागरूकता अभियान: छ्व्रष्ट ने यह भी निर्णय लिया है कि वह अपने-अपने राज्यों में नागरिकों के बीच पूर्ववर्ती परिसीमन अभ्यासों के इतिहास और संदर्भ के बारे में जानकारी फैलाने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। इसके साथ ही, प्रस्तावित परिसीमन के संभावित परिणामों पर एक समन्वित जनमत संग्रह रणनीति भी अपनाई जाएगी।
ष्ठरू्य की अगुवाई में पारित यह 7-सूत्रीय प्रस्ताव आगामी परिसीमन प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों की एकजुटता और चिंताओं को दर्शाता है। अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
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