नई टिहरी। वनों में आग का बड़ा कारण बने पिरूल के निस्तारण व व्यवसायिक उपयोग के लिए वन विभाग की नई टिहरी रेंज के तहत स्थापित पिरूल संग्रहण केंद्र में 7 हजार क्विंटल पिरूल का संग्रहण स्वयं सहायता समूहों की मदद से किया गया है। जिसमें से 60 क्विंटल पिरूल अब तक ब्रीकेट (कोयला) बनाने के लिए रिंगालगढ़ में स्थापित मशीन के लिए भेजा गया है। नई टिहरी रेंज के वनाधिकारी आशीष डिमरी ने बताया कि लगातार बारिश के कारण वनों में भले इस बार वनाग्नि की घटनायें टिहरी डिवीजन में न के बराबर रही है। लेकिन इसके बाद भी वन महकमे के आलाधिकारियों व शासन के निर्देशानुसार वनों में आग के बड़े कारण पिरूल के निस्तारण के लिए लगातार कार्यवाही जारी रखी गई है। जिसके तहत नई टिहरी रेंज के तहत स्थापित पिरूल संग्रहण केंद्र में अब तक इस बार 7 हजार क्विंटल का पिरूल एकत्र किया गया है। पिरूल एकत्रीकरण का कार्य सफलतापूर्वक स्वयं सहायता समूहों की मदद से किया गया है। स्वयं सहायता समूहों को पिरूल का प्रतिकिलो 10 रुपये वन विभाग की ओर से भुगतान किया जा रहा है। अब तक 60 क्विंटल पिरूल रिंगालगढ़ में ब्रीकेट बनाने की मशीन को उपलब्ध करवाया दिया गया है। जिससे पिरूल का व्यवसायिक उपयोग भी पायेगा। पिरूल से बने ब्रीकेट का कोयले के रूप में प्रयोग किया जायेगा। जिससे वनों पर आम लोगों की निर्भरता भी कम होगी और वनों को पर्याप्त संरक्षण भी होगा। डीएफओ पुनीत तोमर का कहना है कि डिवीजन के तहत पिरूल निस्तारण का कार्य तेजी से किया जा रहा है। जितना अधिक पिरूल का निस्तारण होगा। उतना ही वनों की आग से सुरक्षा पुख्ता हो पायेगी। पिरूल संग्रहल से स्वयं सहायता समूहों को भी लाभ मिलेगा।