थरकोट झील का 99 फीसदी कार्य हुआ पूरा
पिथौरागढ़। पिथोरागढ़ में थरकोट झील का सपना आकार लेने लगा है। झील का 99 फीसदी कार्य पूरा हो गया है। समिति ने कहा इस झील के निर्माण से क्षेत्र में पर्यटन विकास के सपने साकार होंगे। वर्ष 1989 में विण विकासखंड की बीडीसी बैठक में झील निर्माण का प्रस्ताव तत्कालीन उप प्रमुख राजेंद्र भट्ट ने रखा था। जिसे सर्वसम्मति से सदन ने पास किया था। वर्ष 1998 में अविभाजित यूपी में इस झील के निर्माण के लिए 14 लाख 93 हजार की धनराशि सिचाई विभाग को अवमुक्त हुई। राज्य आंदोलनकारी भट्ट ने बताया इसके बाद उनके व लक्ष्मी भट्ट के नेतृत्व में एक संघर्ष समिति बनाई गयी। वर्ष 2005 में उनकी पहल पर ही सीएम एनडी तिवारी से धारचूला एनएचपीसी के एक कार्यक्रम के दौरान झील निर्माण के लिए 40 लाख की घोषणा की। कहा वर्ष 2007 में तत्कालीन सरकार ने इसका शिलान्यास धमौड़ में करा दिया। लंबे समय से थरकोट झील का सपना देख रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। सीमांत जनपद की पहली झील बनकर तैयार हो गई है।
आगामी 31 जनवरी तक इस झील में पानी भरने का दावा किया जा रहा है। इस झील के अस्तित्व में आने से जहां पर्यटकों को एक नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन मिलेगा। वहीं सिचाई और पेयजल की किल्लत भी दूर होगी। पिथौरागढ़-घाट एनएच स्थित थरकोट क्षेत्र में एक दशक से झील निर्माण की कवायद चल रही है। करीब 32 करोड़ की लागत से बनाई जा रही थरकोट झील 750 मीटर लंबी, 53 मीटर चौड़ी और 15 मीटर गहरी होगी।
विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान में झील का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क सुरक्षा के लिए कार्य होना शेष है। वह भी आगामी तीन से चार दिनों के भीतर पूरा हो जाएगा। आगामी 31 जनवरी तक झील में पानी भरने की योजना है। इसके साथ ही सीमांत के लोगों को अपनी पहली झील मिल जाएगी।
पर्यटन को लगेंगे पंख थरकोट झील का निर्माण सीमांत में पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सालों से लोग इसके निर्माण की मांग को लेकर प्रयासरत हैं। अब जब थरकोट झील धरातल में साकार होने जा रही है तो लोगों की उम्मीदें है कि इससे सीमांत में पर्यटन गतिविधियों को पंख लगेंगे।
थरकोट झील का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। वर्तमान में एनएच की सुरक्षा के लिए कार्य किया जा रहा है। तीन से चार दिन के भीतर यह कार्य भी संपन्न हो जाएगा। आगामी 31 जनवरी तक झील में पानी भर दिया जाएगा। -प्रकाश पुनेठा, एई सिचाई विभाग