नई टिहरी()। वर्करों और कर्मचारियों की हकों की लड़ाई तेज करने के साथ ही सीटू उत्तराखंड का 9वां राज्य स्तरीय सम्मेलन का विधिवत समापन हुआ। केंद्र की मजदूर‑विरोधी, कॉरपोरेट‑परस्त और जन‑विरोधी नीतियों को लेकर सम्मेलन में चर्चा कर विरोध की नीति बनाने का निर्णय हुआ। सम्मेलन का केंद्रीय रहा कि अधिकारों की रक्षा करना, 26 हजार रुपये न्यूनतम वेतन, स्थायी रोजगार, बढ़ती महंगाई पर रोक, शिक्षा, स्वास्थ्य व सरकारी क्षेत्र में निजीकरण का विरोध और मजदूर‑विरोधी लेबर कोड के खिलाफ व्यापक संघर्ष को मजबूत करना। सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न ज़िलों से आए सीटू के डेलीगेट, पर्यवेक्षक, स्कीम वर्कर, ठेका‑कर्मचारी, संगठित-असंगठित क्षेत्र के मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए। दो दिनों तक चली कार्यवाही में प्रदेश और देश के आर्थिक‑सामाजिक हालात, मजदूर वर्ग के सामने खड़ी चुनौतियों, बढ़ती बेरोज़गारी, महँगाई, निजीकरण, श्रम क़ानूनों में बदलाव और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हो रहे हमलों पर विस्तार से चर्चा की गई। सम्मेलन का समापन सीटू के वरिष्ठ नेताओं और राज्य के मज़दूर आंदोलन से जुड़े अग्रणी साथियों ने श्रम वर्ग के शहीदों को श्रद्धांजलि देकर किया। इसके बाद प्रदेश समिति की ओर से प्रस्तुत संगठनात्मक प्रतिवेदन, गतिविधि रिपोर्ट, सदस्यता वृद्धि, विभिन्न क्षेत्रों में किए गए आंदोलनों और भविष्य की कार्ययोजना पर विस्तृत विमर्श हुआ। सम्मेलन में आशुतोष नेगी, मनमोहन सिंह रौतेला, एसएफआई के नितिन मलेठा, भगवान सिंह राणा, मदन मिश्र, आरपी जोशी, आरएन बलूनी, लेखराज, कृपाल सिंह, श्रीपाल चौहान, कुलदीप राणा, कुंवारी कलूड़ा, बसंती नेगी, कृष्णा कठैत आदि मौजूद रहे।
एमपी जखमोला सीटू के प्रदेश अध्यक्ष और राजेंद्र नेगी बने महामंत्री : दो दिवसीय कार्यवाही के दौरान सीटू उत्तराखंड की 41 सदस्यीय नई राज्य कार्यकारिणी (प्रांतीय कमेटी) का गठन किया गया। जिसमें 15 सदस्यीय सचिव मंडल बनाया गया, इस कार्यकारिणी में अध्यक्ष कामरेड एमपी जखमोला, महामंत्री कामरेड राजेंद्र सिंह नेगी, कोषाध्यक्ष कामरेड मनमोहन सिंह, उपाध्यक्ष कामरेड पीडी बलूनी, कामरेड भगवंत पयाल, कामरेड चिंतामणि थपलियाल, कामरेड शिव दुबे, कामरेड राजेंद्र नेगी, सचिव कामरेड लेखराज, कामरेड बीरेंद्र नेगी, कामरेड जितेंद्र मल, कामरेड कुलदीप राणा और कामरेड इमरत और अन्य राज्य कार्यकारिणी सदस्य पदों पर सर्वसम्मति से चुने गए। नई कार्यकारिणी को प्रदेश में मजदूर वर्ग के संघर्षों का विस्तार, स्कीम वर्करों, ठेका‑कर्मचारियों, औद्योगिक मज़दूरों, सेवा‑क्षेत्र के कर्मचारियों और बेरोज़गार युवाओं को संगठित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी सौंपी गई।