उपराष्ट्रपति ने किया डा़निशंक की पुस्तक मूल्य आधारित शिक्षा काविमोचन
हरिद्वार। पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा़रमेश पोखरियाल निशंक ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने डा़निशंक की पुस्तक ‘मूल्य आधारित शिक्षा‘ का विमोचन किया। डा़निशंक ने बताया कि उन्होंने यह किताब यूनेस्को की डीजी श्रीमती औड्रेय औजले के आग्रह पर लिखी हैं। जो चाहती थी कि सम्पूर्ण विश्व के बच्चों को मूल्याधारित्त शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जाए। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरे देश में लोकप्रिय हो रही है। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अध्ययन किया है। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता प्रकट की कि डा़निशंक हिमालय के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।
डा़निशंक ने उपराष्ट्रपति को बताया कि नयी शिक्षा नीति विश्व के सबसे बड़े नवाचार युक्त परामर्श का परिणाम है। जिसमे ढाई लाख पंचायतों समेत शिक्षा जगत से जुड़े सभी हित धारकों के सुझाव लिए गए हैं। डा़निशंक ने बताया कि शिक्षा नीति के निर्माण में मानवीय मूल्यों और परंपरागत भारतीय ज्ञान पर विशेष ध्यान दिया गया। उन्होंने शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन हेतु भरसक प्रयास पर बल दिया। डा़निशंक ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गयी न्यू इंडिया की आधारशिला है जो बदलते समाज और गतिशील दुनिया की चुनौतियों को अवसरों में बदल सके और विश्वगुरु भारत का निर्माण कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और उनकी प्रेरणा से सबसे बड़े विमर्श के पश्चात ऐतिहासिक एवम परिवर्तनकारी शिक्षा नीति का निर्माण हुआ जो सभी भारत वासियों की अपेक्षा पर खरी उतरती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूर्ण रूप से भारत केंद्रित होने के साथ गुणवत्ता परक, नवाचारयुक्त, व्यावहारिक, प्रोद्योेगिकीयुक्त, अंतर्रष्ट्रीय, वैज्ञानिक और कौशल युक्त है। जो हमारी भावी पीढ़ी को सफल वैश्विक नागरिक बनाने पर ध्यान केंद्रित करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से युवा ज्ञान प्रौद्योगिकी भारतीय मूल्यों और परम्परागत ज्ञान के बल पर भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सफल हो सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 130 करोड़ से अधिक लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। यह उन मूल्यों, क्षमताओं और व्यवहार को विकसित करने के बारे में है जो एक स्थिर समाज बनाने के लिए शांति, न्याय और समावेशिता के गुण पैदा करते है। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति सभी के कल्याण के लिए एक विश्व समुदाय को एकजुट करने, प्रेरित करने और सबका समग्र विकास सुनिश्चित लिए प्रतिबद्घ है। निश्चित रूप से भारत को शिक्षा के आकर्षक गंतव्य के रूप में स्थापित कर यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के विश्व गुरू बनने का मार्ग प्रशस्त करेगी। डा़निशंक ने कहा कि विभिन्न विषयों पर उपराष्ट्रपति का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस अवसर पर डा़निशंक ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ को देवभूमि उत्तराखंड के चारों धामों के दर्शन का निमंत्रण भी दिया।