कोटद्वार-पौड़ी

नारद मुनि के अभिमान व स्वयंवर का हुआ मंचन

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रामलीला कमेटी दुगड्डा की ओर से आयोजित की गई रामलीला
जयन्त प्रतिनिधि ।
कोटद्वार: राजलीला कमेटी दुगड्डा ने अपने 122 वें वर्ष में प्रवेश कर लिया। प्रथम दिन नारद मुनि के अभिमान व स्वयंवर की कथा का मंचन हुआ। इस दौरान रामलीला देखने को दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी रही।
आयोजित रामलीला का शुभारंभ पूर्व प्रधानाध्यापक राम प्रसाद बड़ोला ने रीबन काटकर किया। उन्होंने कहा कि मुझे भी अपने 65 साल पुराने दिन याद आ गए हैं। उन्होंने रामलीला कमेटी को सफल मंचन के लिए शुभकामनाएं दी । इस दौरान स्व. दीपक बड़ोला की पुण्य स्मृति में रामलीला कमेटी के कलाकारों को परितोषिक हेतु धनराशि भेंट की गई। पहले दिन नारद मुनि के अभिमान व उनके स्वयंवर की कथा का मंचन किया गया। कथा में बताया गया कि एक बार नारद मुनि स्वर्ग में विचरण कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें स्वर्ग लोक अच्छा लग गया। इसके बाद नारद मुनि ने वहीं तपस्या शुरू कर दी। इससे इंद्र का सिंहासन हिल उठा। इससे भयभीत होकर भगवान इंद्र ने कामदेव व अप्सराओं को नारद मुनि की तपस्या को भंग करने के लिए भेजा। लेकिन तमाम प्रयास करने के बाद भी उनकी तपस्या को भंग नहीं कर पाए। नारद मुनि को लगा कि उन्होंने बड़ा काम किया है, परिणाम स्वरूप उनमें अभिमान आ गया। कामदेव और अप्सराएं भगवान विष्णु से सहायता मांगने जाते हैं। विष्णु भगवान नारद मुनि के अभिमान को तोड़ने के लिए लीला रचते हैं। उन्होंने अपनी माया से एक नगर बनाया। वहां के राजा ने अपनी बेटी के स्वयंवर में नारद मुनि को आशीर्वाद देने के लिए बुलाया। नारद मुनि को विवाह करने की इच्छा होती है। वे विष्णु से हरि रूप मांगते हुए कहते हैं कि वे वही काम करेंगे तो आपके हित में होगा और वे उन्हें वानर का रूप प्रदान करते हैं जिससे वे स्वयंवर में हंसी का पात्र बन जाते हैं। वहीं भगवान विष्णु राजकुमारी से विवाह कर ले जाते हैं जिससे नारद क्रोधित होते हैं और विष्णु को शाप देते हैं कि तुम भी एक दिन नारी के लिए तड़पोगे तब ये वानर रूप जो आपने मुझे दिया है वे ही तुम्हारे काम आएगा। इस मौके पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष नितेश ठाकुर, संरक्षक वीरेंद्र शाह, प्रदीप बड़ोला, नरेंद्र शहनाई, बबली बिष्ट, संजीव कोटनाला, शन्नी राजपूत, भगवंत बिष्ट, राहुल जैन, वीरेंद्र रावत, पुष्कर रावत, संदीप रावत, दिनेश चौहान, सौरभ आदि मौजूद रहे।

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