उत्तराखंड

जिलाध्यक्ष मनोनीत करने में भाजपा नेतृत्व को करनी पड़ रही कड़ी मशक्कत

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हरिद्वार। उत्तराखण्ड की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले हरिद्वार में जिलाध्यक्ष मनोनीत करने में भाजपा को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण 11 विधानसभा सीटों वाला हरिद्वार जनपद हमेशा ही सभी राजनीतिक दलों के लिए अहम रहा है। भारतीय जनता पार्टी को इस बार जनपद में जिलाध्यक्ष मनोनीत करने में कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ नेता आशुतोष शर्मा, ओमप्रकाश जमदग्नि, अनिल अरोड़ा, संदीप गोयल के नाम जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में तेजी से चल रहे है। राष्ट्रीय स्तर पर सभी जातियों को साधने में जुटी भाजपा जनपद हरिद्वार में जिलाध्यक्ष पद पर भी जातीय समीकरण का संतुलन बनाने प्रयास कर रही है। जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल आशुतोष शर्मा और ओमप्रकाश जमदग्नि भाजपा ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। जबकि संदीप गोयल वैश्य समाज और अनिल अरोड़ा पंजाबी समुदाय से हैं। तीर्थ नगरी हरिद्वार में ब्राह्मण समाज से शहरी विधायक मदन कौशिक, चौहान बिरादरी से रानीपुर विधायक आदेश चौहान और पंजाबी समाज से रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा हैं। किरण सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने जाट समाज को भी साधने का काम किया है तो वही दूसरी ओर सैनी समाज से कल्पना सैनी को राज्यसभा सांसद बनाकर सैनी समाज को सम्मानित किया है। भाजपा अब जिलाध्यक्ष पद जातीय समीकरण को संतुलित कर अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई है। लकसर विधायक संजय गुप्ता के चुनाव हारने पर वैश्य समुदाय का पार्टी में बड़ी भूमिका देने पर यदि भाजपा विचार करती है तो अगला जिलाध्यक्ष वैश्य समुदाय से हो सकता है। इस संभावना को देखते हुए संदीप गोयल के अलावा वैश्य समाज से जुड़े कई अन्य नेता भी अपनी दावेदारी पेश करने में जुट गए हैं। राजनीति अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र हैं। ऐसे में पार्टी व सामाजिक स्तर पर अत्यधिक सक्रिय प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य डा़विशाल गर्ग भी जिलाध्यक्ष पद के दावेदार हो सकते हैं। राजनीति के साथ सामाजिक गतिविधियों के चलते समाज के सभी वर्गो में अच्छी पकड़ रखने वाले डा़विशाल गर्ग टुपे रूस्तम साबित हो सकते हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर किसे बैठाती है। यह तो जिलाध्यक्ष मनोनीत होने के बाद ही पता चलेगा। दावेदारों के अलावा कार्यकर्ताओं की नजरे भी इस पर टिकी हुई हैं।

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