मनरेगा में बीएफई की भर्ती में धांधली, मानकों का नहीं रखा गया ध्यान, आरटीआई में हुआ खुलासा
रुड़की। हरिद्वार जिले में वर्ष 2016-17 में हुई मनरेगा में बिएरफुट इंजीनियर (बीएफई) की भर्ती में धांधली का मामला सामने आया है। करीब 48 बीएफई की भर्तियों के दौरान मनरेगा के मानकों को दरकिनार किया गया। भर्ती में एससीध्एसटी को मिलने वाली प्राथमिकता भी नहीं दी गई।
इसके अलावा बीएफई को मनरेगा में दो साल का अनुभव अनिवार्य है, लेकिन भर्ती अधिकतर बीएफई का जब कार्ड कई साल से निष्क्रिय पड़े हैड्ड। आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत पर जिले में मामले की जांच शुरू हो गई है। बीएफई मनरेगा के जेई का सहायक होता है। इस पद को उन मनरेगा मजदूरों में से भरा जाता है, जो सक्रिय जबकार्डधारक हों।
हालांकि, बीएफई को वेतन नहीं दिया जाता, उसे मनरेगा में होने वाले कार्यों में कमीशन मिलता है। 2016 में जिले में करीब 48 बीएफई की भर्ती की गई थी। भर्ती में मनरेगा के मानकों का ध्यान नहीं रखा गया। यदि नियमों की बात करें तो बीएफई पदों के लिए एससीध्एसटी वर्ग को वरीयता दी जानी थी, यानी यदि एक बीएफई सामान्य या ओबीसी वर्ग से भर्ती किया जाना है, तो दो एससीध्एसटी वर्ग से भर्ती करने थे।
इसके अलावा 50 फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित थे। इसमें वही बीएफई आवेदन कर सकते हैं, जो सक्रिय श्रमिक परिवार से हों, जबकार्ड धारक हों और कार्ड दो साल तक लगातार सक्रिय रहा हो, लेकिन जिले में हुई बीएफई की भर्ती में इन सभी निमयों की अनदेखी हुई।
एक-दो को छोड़ दे तो अधिकतर बीएफई ओबीसी हैं। इसके अलावा इनका जबकार्ड भी एक्टिव नहीं है। इन बातों का खुलासा तेलीवाला निवासी आरटीआई कार्यकर्ता आकाश कुमार सैनी द्वारा विभाग से मांगी गई सूचना के बाद हुआ है। इसके बाद आकाश ने डीडीओ को शिकायत कर मामले की जांच करने की मांग उठाई है। संवाद
जिले में जितने भी बीएफई के पदों पर तैनात हैं, उनकी भर्ती वर्ष 2016 में की गई थी। इसमें अपात्रों को भर्ती करने की शिकायत आई। शिकायत पर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है। यदि कोई मानकों के अनुसार भर्ती हुआ नहीं मिला, तो उन्हें हटाकर पात्रों को भर्ती किया जाएगा।
– वेद प्रकाश, जिला विकास अधिकारी