उत्तराखंड

बूढ़ाकेदार में आज से तीन दिवसीय गुरु कैलापीर मेला शुरू

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नई टिहरी। भिलंगना ब्लक के बूढ़ाकेदार में मंगशीर की दीपावली के साथ गुरु कैलापीर मेला धूमधाम से मनाया जाएगा। तीन दिवसीय मेला आज गुरुवार से शुरू होगा। सरकारी विभागों की ओर से स्टल लगाकर लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। मुख्य दीपावली के एक माह बाद टिहरी जिले भिलंगना ब्लक के थाती कठूड पट्टी, उत्तरकाशी जिले की नल्डा तथा गाजणा पट्टी के लोग धूमधाम से मंगशीर माह में दीपावली मनाते हैं। गुरु कैलापीर मेला समिति के मीडिया प्रभारी धनपाल गुनसोला ने बताया कि पौराणिक मान्यता है कि मुख्य दीपवाली के समय गढ़वाल के राजा और गोरखा राजा के बीच युद्घ हुआ था। युद्घ शुरू होने से पूर्व कैलापीर देवता गढ़वाल के राजा के सपने में आये और उन्हें आदेश दिया था कि प्रत्येक परिवार के मुखिया को वह अपने साथ लड़ाई में ले जाए, तभी जीत होगी। बताया कि करीब एक माह तक चली लड़ाई में गढ़वाल के राजा की जीत हुई। दीपावली के एक माह बाद राजा और उनके सैनिक वापस लौटे, जिसके बाद से मंगशीर माह में दीपावली मनाई जाती है। बताया कि बूढ़ाकेदार में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर भी है। महाभारत युद्घ के बाद पांडवों को भगवान शिव ने बूढ़ाकेदार में बूढ़े बाबा के रूप में दर्शन दिये थे। ऐसी मान्यता भी है, कि भगवान शंकर के त्रिशूल को पौराणिक काल में गुरु कैलापीर देवता का नाम दिया गया था। बताया कि कैलापीर देवता टिहरी और उत्तरकाशी जिले के कई गांव के ईष्ट देवता हैं। गुरु कैलापीर मेले के पहले दिन गुरुवार को श्रद्घालु देवता के निशान के साथ खेतों में दौड़ लगाएंगे और देवता का आशीर्वाद लेंगे।

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