बाल वैज्ञानिकों का मकसद लोगों को आत्मनिर्भर बनाना
श्रीनगर गढ़वाल : राइंका नागराजाधार चिलेड़ी के चार बाल अदिति, आंचल, प्रिंस और रोहन गोमूत्र, गोबर एवं स्थानीय संसाधनों से बनने वाले कीटनाशक, मक्खी व मच्छर स्प्रे आदि उत्पादों पर शोध कार्य कर रहे हैं।
मार्ग दर्शक शिक्षिका मीना डोभाल ने बताया कि बाजार में मिलने वाले उत्पादों में खतरनाक रसायन होने के कारण यह हमारी मृदा, शरीर व प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं। इस अनुसंधान के पीछे इन बाल वैज्ञानिकों का मकसद है कि गांव में लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जाए। जिससे पलायन को रोका जा सके व लघु उद्योगों को बढ़ावा मिले। यह बाल वैज्ञानिक इसी प्रोजेक्ट के साथ राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस 2023 में भी प्रतिभाग करेंगे। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस 2023 का मुख्य विषय स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र है। इसके अंतर्गत उप विषय आत्म निर्भरता के लिए पारिस्थितिक तंत्र आधारित दृष्टिकोण पर यह बाल वैज्ञानिक अपना शोध कर रहे हैं। (एजेंसी)