कवि सम्मेलन में कवियों प्रस्तुतियों से श्रोता मंत्रमुध
श्रीनगर गढ़वाल : हिमालय साहित्य एवं कला परिषद श्रीनगर गढ़वाल की ओर से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। इस मौके पर देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने काव्य पाठ किया। कवियों की प्रस्तुतियों की श्रोताओं ने सराहना की।
मुख्य अतिथि प्रो. आरपी गैरोला, प्रो. एसएस रावत, पूर्व पालिका अध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी ने दीप प्रज्जवलित कर समारोह का शुभारंभ किया। कवि सम्मेलने में इंदौर से पहुंचे कवि अशोक नागर ने घर बड़ा हो या छोटा गर मिठास ना हो तो, आदमी क्या आएंगे चीटियां नहीं आती आदि प्रस्तुतियों की श्रोताओं ने जमकर तारीफ की। लखनऊ के साहित्यकार श्यामल मजूमदार ने सियासत में अंधी कमाई न होती, तो चेहरे पर उनके लुनाई ना होती जैसी हास्य व्यंग्य रचनाओं ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। हरदोई से पहुंचे गीतकार सुखदेव पांडेय सरल ने तू मेरा है मुझे तुझपे घमंड है, इसलिए प्यार भी तुझसे प्रचंड है एवं मां पर केंद्रित कविताओं को सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। शहजहांपुर से आए युवा कवि प्रशांत बाजपेई ने कैसे ना संदेह करें हम राजनीति की खोटों पर,चौराहों पर चिल्लाऊंगा भारत मां की चोटों पर रचना सुनाकर देशभक्ति से श्रोताओं को ओत-प्रोत किया। पौड़ी की डा. ऋतु सिंह ने चले आओ पहाड़ों पर, निमंत्रण दे रही हूं मैं सुनाकर कवि सम्मेलन को जीवंत कर दिया। झांसी के कवि डा. दीपक द्विवेदी जी ने आध्यात्म पर केंद्रित कविता बड़े संकोच में इस गीत को गाना पड़ा है, तुम्हें बैकुण्ठ से उर में मेरे आना पड़ा है सुनाकर भक्ति रस में डुबो दिया। सम्मेलन की अध्यक्षता प्रो. उमा मैठाणी व संचालन प्रसिद्ध कवि नीरज नैथानी ने किया। इस मौके पर प्रो. डीआर पुरोहित, प्रो. आरसी डिमरी, डा. संजय पाण्डेय, जयकृष्ण पैन्यूली, शंभू प्रसाद भट्ट स्नेहिल, राजेश जैन, महेश गिरी, देवेंद्र उनियाल, डा. प्रकाश चमोली, माधुरी नैथानी, अंजना घिल्डियाल आदि मौजूद रहे। (एजेंसी)