पीएम मोदी ने की मुख्य सचिवों के राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता, 200 से अधिक नौकरशाहों ने लिया हिस्सा
नई दिल्ली एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में मुख्य सचिवों के राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की। यह कार्यक्रम राज्यों के साथ साझेदारी में तीव्र और निरंतर आर्थिक विकास को हासिल करने पर केंद्रित रहेगा। पहली बार ऐसा सम्मेलन जून 2022 में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित किया गया था और इस बार इसका आयोजन नई दिल्ली में हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य बताते हुए कहा कि केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर काम करने वाले विभागों के माध्यम से सहकारी संघवाद नए भारत के विकास और प्रगति के लिए एक आवश्यक स्तंभ है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस सम्मेलन की परिकल्पना की गई।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि मुख्य सचिवों का राष्ट्रीय सम्मेलन 5 जनवरी को आयोजित किया गया जो 7 जनवरी को समाप्त होगा। इस सम्मेलन में 200 से अधिक नौकरशाहों ने हिस्सा लिया। जिसमें केंद्र सरकार के प्रतिनिधि, मुख्य सचिव और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं।
केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल बनाने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह कोई पहला मौका नहीं है जब ऐसा सम्मेलन आयोजित किया गया हो। पिछले 8 सालों में प्रधानमंत्री मोदी ने नीति-निर्माण और कार्यान्वयन की प्रक्रिया को अधिक सहयोगात्मक और परामर्शात्मक बनाने के लिए लगातार काम किया है। ऐसे में यह प्रक्रिया भारत को अधिक संघ शासित बनाया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के संघीय ढांचे को मजबूत करने के लिए और केंद्र-राज्यों के संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के मद्देनजर देशभर के सबसे पिछड़े जिलों को तेजी से परिवर्तित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जनवरी 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम (।क्च्) कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। आकांक्षी जिला कार्यक्रम की रणनीति में अभिसरण, सहयोग और प्रतियोगिता शामिल है।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य को चलाने का व्यापक अनुभव हासिल कर चुके प्रधानमंत्री मोदी को यह पता है कि राज्यों के विकास की कुंजी पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सरकार ने करों के विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी को 32 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी करने का निर्णय लिया। बयान में कहा गया कि इसने राज्यों को उनकी आवश्यकता के मुताबिक कार्यक्रमों को डिजाइन और कार्यान्वित करने के लिए अधिक संसाधन प्रदान किए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की यह अनूठी पहल केंद्र, राज्यों और अन्य शीर्ष अधिकारियों को एक टेबल पर लाने का काम कर रही है। जिसकी मदद से सभी विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के कार्यान्वयन की समयसीमा में सुधार के लिए सक्रिय रूप से काम किया जा रहा है।