जोशीमठ की असफलता को छुपाने के लिए भाजपा कर रही अनर्गल बयानबाजी : इंद्रेश
श्रीनगर गढ़वाल : जोशीमठ में आपदा से निपटने में सरकार अभी ढीला-ढाला रुख अपनाए हुए है। इस मामले में खतरे की पूर्व चेतावनियों को भी सरकार और उसकी प्रशासनिक मशीनरी ने अनदेखा किया। जोशीमठ में 14 महीनों तक लोग खतरे को लेकर चेताते रहे। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने स्वयं पहल करके जब स्वतंत्र भू वैज्ञानिकों से नगर का सर्वे करवा दिया, तब राज्य सरकार थोड़ा हरकत में आई और उसने जोशीमठ के अध्ययन के लिए 28 जुलाई 2022 को एक कमेटी बनाई।
यह बात भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कही। मैखुरी ने कहा कि कमेटी द्वारा सितंबर 2022 में खतरे वाले घरों को पुनस्र्थापित करने और निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने की संस्तुति की गयी थी। बावजूद इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इससे पहले राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड में आपदा के खतरे के आकलन का सर्वेक्षण करवाया गया। यह सर्वेक्षण 2016 में शुरू हो कर 2019 तक करवाया गया था। सर्वेक्षण में बताया गया कि उत्तराखंड के करीब 50 प्रतिशत हिस्से में भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र हैं। कहा जोशीमठ में अब तक मुआवजे, पुनर्वास और पुनर्निर्माण में उत्तराखंड सरकार पूरी तरह विफल रही है। इस असफलता को ढकने के लिए ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। कहा आपदा प्रबंधन के सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा पर टिहरी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में एक बांध प्रभावित महिला के मामले में अदालत में सबूत छुपाने और दूसरे पक्ष से सांठगांठ करने का मुकदमा चल रहा है। यह मुकदमा 1 अक्टूबर 2013 को उन पर टिहरी के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के आदेश पर दर्ज हुआ था। ऐसे संवेदनहीन अफसर के रहते न तो आपदा प्रबंधन का काम ठीक से हो सकता है और ना ही आपदा प्रभावितों को न्याय मिलने की उम्मीद की जा सकती है। मौके पर भाकपा माले के गढ़वाल कमेटी सदस्य योगेंद्र कांडपाल, गढ़वाल कमेटी सदस्य शिवानी पांडेय, बिड़ला परिसर छात्र संघ उपाध्यक्ष रोबिन असवाल मौजूद रहे। (एजेंसी)