पहले सुरक्षा की पक्की व्यवस्था, फिर सड़कों पर निर्माण के काम
नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय राजमार्गों में निर्माण तथा रखरखाव के कार्यों के दौरान खुदाई, मलबा, बेतरतीब तरीके से पड़े उपकरणों और साइनेज के अभाव के कारण हादसे होना आम बात है। निर्माण और रखरखाव के कार्य सुव्यवस्थित ढंग से हों, इसके नियम-कानून भी हैं, जिन पर अमल नहीं होता।
इससे चिंतित सड़क परिवहन मंत्रालय ने नए सिरे से मानक प्रक्रिया यानी एसओपी जारी की है, ताकि सड़कों पर चल रहा काम हादसों का कारण न बने और लापरवाह ठेकेदारों पर अंकुश लगाया जा सके। मंत्रालय ने सभी राज्यों और एनएचएआई तथा एनएचआईडीसीएल जैसी अपनी एजेंसियों को लिखी चिट्ठी में माना है कि निर्माण स्थलों में सुरक्षा के उपायों पर अमल को लेकर गंभीर दिक्कतें हैं।
सभी तरह के प्रोजेक्टों में निर्माण और रखरखाव के कार्यों के दौरान सुरक्षा के उपायों की गाइडलाइन है, लेकिन अपर्याप्त व्यवस्था के कारण रह-रहकर हादसे हो रहे हैं।
मंत्रालय ने आम तौर पर नजर आने वाली कुछ कमियां भी गिनाई हैं, जैसे मुख्य सड़क के बगल में बैरिकेड के बिना खुदाई, गड्ढों को लंबे समय तक खुला छोड़ देना, अपर्याप्त साइनेज, खराब डिजाइन और रखरखाव वाले डायवर्जन, आंशिक रूप से बनी सड़कों पर ट्रैफिक खोल दिया जाना और गड्ढों को भरने की टाइमलाइन का पालन न किया जाना।
फिर से जारी की गई एसओपी में साफ-साफ तौर पर कहा गया है कि जब तक ठेकेदार सुरक्षा के पर्याप्त उपाय और जरूरी होने पर ट्रैफिक डायवर्जन की व्यवस्था न कर दे तथा उसके सुरक्षा प्लान को मंजूरी न दे दी जाए तब तक निर्माण और रखरखाव का कोई कार्य शुरू नहीं किया जाना चाहिए।
इस प्लान पर अमल की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी और जो भी बड़ी कंस्ट्रक्शन साइट हैं, वहां सीसीटीवी के जरिये इसकी निगरानी की जाएगी। ठेकेदारों को गड्ढे भरने की निश्चित समयसीमा बतानी होगी और एडिशन इंजीनियर न्यूनतम संभावित समयसीमा को मंजूरी देंगे। मानसून से पहले गड्ढे भरे दिए जाने चाहिए और बारिश के समय कोई खोदाई नहीं की जाएगी।
बता दें कि खोदाई पांच सौ मीटर के खंड के केवल एक तरफ एक बार में होगी। वैसे तो इस एसओपी पर ठीक तरह से अमल न करने वाले ठेकेदारों पर मंत्रालय ने पेमेंट का कुछ हिस्सा रोकने, सुरक्षा उपायों का पूरा खर्चा वसूलने तथा बार-बार उल्लंघन पर ठेका रद करने जैसी कार्रवाई की भी बात कही है, लेकिन इस तरह की सख्ती के उदाहरण गिने-चुने ही हैं।
एक समस्या यह भी है कि निर्माण और रखरखाव के कार्यों के दौरान सुरक्षा के लिए मानक प्रक्रिया केवल केंद्र सरकार की सड़क परियोजनाओं के लिए हैं, जिनका कुल रोड नेटवर्क में योगदान तीन प्रतिशत से भी कम है। हालांकि, कुल हादसों में एनएच का हिस्सा लगभग 35 प्रतिशत है।
मंत्रालय की इस चिट्ठी के आधार पर राज्यों में लोक निर्माण विभाग तथा सड़क निर्माण में शामिल अन्य एजेंसियों को अपनी साइटों पर भी इसे एक माडल के रूप में लागू करना होगा। मंत्रालय की 2021 की रोड एक्सीडेंट रिपोर्ट के मुताबिक, निर्माण कार्यों के कारण 9075 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 4014 लोगों की जान गई और अगर सड़कों में गड्ढों के कारण लोगों की जान जाने के मामलों को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 5495 हो जाती है।