मांगल गीतों, लोकगीतों व बोली भाषा के संरक्षण पर दिया जोर
श्रीनगर गढ़वाल : देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति, संस्कारों, रीति रिवाजों व परंपराओं आदि के संरक्षण और संवद्र्धन के साथ समृद्ध और आत्मनिर्भर उत्तराखंड बनाने की भावना से संस्कार परिवार देवभूमि ट्रस्ट देहरादून का 29 अप्रैल को हरिद्वार से निकला रिवर्स पलायन संवाद आभियान श्रीनगर पहुंचा। यहां हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विवि के चौरास परिसर में लोककला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र दल का भव्य स्वागत किया गया।
इस दौरान समृद्ध और आत्मनिर्भर उत्तराखंड के लिए चिंतन-मंथन किया गया आभियान दल की सदस्य पद्मश्री डा. माधुरी बड़थ्वाल के मांगल गीतों और उत्तराखंडी लोकगीतों के साथ संवाद कार्यक्रम आरंभ हुआ। कार्यक्रम में डा. बड़थ्वाल ने देवभूमि उत्तराखंड के गौरवशाली और वैभवशाली अतीत को समझाते हुए जन-जन के सहयोग से मांगल गीतों, लोकगीतों, बोली भाषा आदि के संरक्षण और संवद्र्धन पर जोर दिया। अभियान के सूत्रधार आचार्य बिपिन जोशी ने कहा देवभूमि के देवत्व की हर कीमत पर रक्षा करनी पड़ेगी। प्रो. डीआर पुरोहित ने कहा सहकारिता के माध्यम से वैज्ञानिक तरीके से खेती, बागवानी, जड़ी बूटी उत्पादन से ही आत्मनिर्भर उत्तराखंड की कल्पना को धरातल पर उतारा जा सकता है। योग विभाग के डा. विनोद नोटियाल और डा. रजनी नोटियाल ने उत्तराखंड के गावों का योग और आयुर्वेद ग्राम के रुप में विकास कर उत्तराखंड को वैलनेस का बड़ा हब बनाने पर जोर दिया। मौके पर डा. संजय पांडे, जितेंद्र मलिक, जयेंद्र गुसांई आदि मौजूद रहे। (एजेंसी)