बारिश बनी जंगलों के लिए वरदान, वन विभाग को मिली राहत
पौड़ी। इसे ग्लोबल वार्मिंग कहें या कुछ और, मगर इतना तो तय है कि कुदरत इस बार जंगलों पर मेहरबान है। मौसम के बदले इस स्वरूप से पहाड़ों में तो ठंड जाने का नाम नहीं ले रही। वहीं तपते मैदानों में इस बार गरमी नाममात्र ही हो रही है। आए दिन बारिश और बर्फबारी के चलते पौड़ी जनपद में वनाग्नि की केवल 16 घटनाएं सामने आई हैं। जो कि एक आरक्षित वन तो 15 सिविल फॉरेस्ट की हैं। वहीं मौसम के इसी अंदाज से वन महकमे ने भी राहत की सांस ले रखी है। मौसम के इस बदले स्वरूप के चलते फायर सीजन के शीर्ष माह में भी वनाग्नि की केवल 16 ही घटनाएं पौड़ी जिले में दर्ज की गई हैं। जिससे वन महकमे के साथ -साथ जंगलों में पारिस्थितिकी बखूबी फलफूल रही है। वहीं आरक्षित वन में इस साल वनाग्नि की केवल एक घटना दर्ज हुई। आग की यह घटना बीती 18 अप्रैल को पोखड़ा रेंज के उटई बीट के जंगल में हुई। इससे 2.5 हैक्टेअर क्षेत्रफल में आग की भेंट चढ़ गए। वहीं इससे वन संपदा के करीब 7500 का नुकसान हुआ। जबकि इस साल सिविल वनों में आग लगने की अभी तक महज 15 घटनाएं दर्ज हैं। जिसमें करीब 43 हैक्टेयर क्षेत्र में आग लगी। आग से हुए नुकसान का अनुमान वन विभाग की सिविल डिविजन ने करीब 70 हजार रुपये बताया है। सिविल वन प्रभाग की रिपोर्ट के मुताबिक पौड़ी जिले में वनाग्नि की अंतिम घटना बीती 28 अप्रैल को दर्ज हुई।
बीते साल सिविल वनों में आग लगने की कुल 167 घटनाएं हुईं। जिसमें सिविल वनों का करीब 238 हैक्टेयर क्षेत्रफल आग की भेंट चढ़ गया। वहीं बीते साल सिविल फॉरेस्ट के आग की भेंट चढ़ने से करीब 6 लाख 87 हजार 290 रूपये की क्षति दर्ज की गई।
बीते साल आरक्षित वनों में आग की 165 घटनाएं हुईं। जिसमें 162 तो विशुद्ध आरक्षित वनों की रही तो 3 घटनाएं प्राइवेट फॉरेस्ट की थी। आग की इन घटनाओं से करीब 368 हैक्टेअर जंगल वनाग्नि से प्रभावित हो गया। वनाग्नि की मार सबसे अधिक पेड़ों को चुकानी पड़ती है। बीते साल आग की 165 घटनाओं ने हरेभरे जंगल में शान बढ़ाने वाले 5 हजार 650 पेड़ों को स्वाहा कर लिया। वहीं वन महकमे ने इसे क्षति का आंकलन करीब 11 लाख 56 हजार 894 रुपये निकाला है।
पौड़ी जिले में इस बार बारिश होने से वनों के साथ -साथ महकमे ने भी राहत की सांस ले रखी है। हालांकि महकमे ने फायर सीजन को लेकर अपनी पूरी तैयारी की हुई है। पिछले साल तक आरक्षित वनों में आग की काफी घटनाएं हुई। – स्वपनिल अनिरूद्ध, डीएफओ गढ़वाल वन प्रभाग।