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उत्तराखंड जल विद्युत निगम का हाइड्रो प्रोजेक्ट निर्धारित उत्पादन दोगुना के करीब पहुंचा

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संवाददाता, देहरादून। सर्दियों में उच्च हिमालयी क्षेत्र में हुए हिमपात का असर अब विद्युत उत्पादन पर दिखने लगा है। गंगा, यमुना समेत विभिन्न नदियों पर स्थापित उत्तराखंड जल विद्युत निगम के हाइड्रो प्रोजेक्ट निर्धारित उत्पादन दोगुना के करीब पहुंच गया है। कोरोना संकट के बीच राज्य में विद्युत आपूर्ति को प्रकृति के मिले इस सहारे से इस साल जल विद्युत परियोजनाओं से सितंबर तक ऊर्जा उत्पादन की स्थिति बेहतर बने रहने की उम्मीद जताई जा रही है। उत्तराखंड में गंगा, यमुना, अलकनंदा, मंदाकिनी समेत विभिन्न नदियों, नहरों में उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के 13 हाइड्रो प्रोजेक्ट हैं। इससे पैदा होने वाली पूरी बिजली को उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड लेकर उपभोक्ताओं को पहुंचाता है। जल विद्युत परियोजनाओं की वैसे तो कुल उत्पादन क्षमता 1292 मेगावॉट के करीब ही है, लेकिन आमतौर पर हर साल करीब दो हजार मेगावॉट बिजली पैदा हो जाती है। ऊर्जा उत्पादन की स्थिति पर सर्दियों में पहाड़ों पर पड़ी बर्फ का सबसे अधिक असर पड़ता है, क्योंकि गरमी का मौसम आते ही पहाड़ों पर पड़ी बर्फ पिघलने लगती है, जिससे नदियों का जलस्तर भी बढ़ जाता है। इससे हाइड्रो प्रोजेक्ट की टरबाइनें अपनी उच्च क्षमता पर कार्य करने लगती हैं। वहीं, इस बार मार्च और अप्रैल महीने में पहाड़ों पर बारिश भी ठीकठाक हुई है। जिसका असर जल विद्युत परियोजनाओं से हो रहे ऊर्जा उत्पादन पर अभी से दिखने लगा है।

ऊर्जा उत्पादन का तुलनात्मक चार्ट
2019(वर्ष) 2020(वर्ष) उत्पादन (मेगावॉट में)
जनवरी, 262.87, 276.09
फरवरी, 254.25,288.12
मार्च, 338.79, 372.88
अप्रैल,426.38, 392.28
मई, 493.03, 435.38
जून, 609.20
जुलाई, 592.67
अगस्त, 530.41
सितंबर, 560.34
अक्टूबर, 422.29
नवम्बर, 269.68
दिसम्बर, 248.76

यूजेवीएनएल के प्रवक्ता विमल डबराल ने बताया कि पहाड़ों पर पड़ी बर्फ पिघलने से नदियों में जलप्रवाह बढ़ने लगा है। इन दिनों ऊर्जा उत्पादन बेहतर स्थिति में है। यह स्थिति मानसून आने के कुछ हफ्ते तक रहेगी। इस साल अभी तक के जो संकेत मिले हैं। उससे पिछले वर्ष से अधिक ऊर्जा उत्पादन होने की संभावना है।

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