केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट से अपील, इलेक्ट्रोनिक मीडिया को रेगुलेट करने से करें परहेज
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि टेलीविजन चौनल्स जैसे इलेक्ट्रोनिक मीडिया को रेगुलेट करने के लिए किसी तरह के कदम से उठाने से परहेज करें, क्योंकि इसको लेकर पहले से कानून है। यह कानून संसद और सुप्रीम कोर्ट के अतीत में दिए फैसलों से तैयार किया गया है।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दायर हलफनामे में केन्द्र ने कहा कि इसके लिए किसी तरह की गाइडलाइन्स की आवश्यकता नहीं है। यदि यह किसी के लिए जरूरत है तो वो है सबसे पहले डिजिटल मीडिया जैसे- वेब पोर्टल्स, यूट्यूब चौनल्स आदि। केन्द्र ने दावा किया कि मुख्य धारा के मीडिया के मुकाबले इसकी कहीं ज्यादा पहुंच और व्यापक दर्शक हैं।
हलफनामे में आगे कहा गया, कोर्ट को और आगे गाइडलाइन्स नहीं बनानी चाहिए़.़ अगर वे यह कदम उठाना ही चाहते हैं तो सबसे पहले डिजीटल मीडिया को लेकर करना चाहिए, क्योंकि प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया को लेकर पहले से ही पर्याप्त फ्रेमवर्क और न्यायिक फैसले हैं।
यह हलफनामा सुदर्शन न्यूज चौनल की तरफ से सिविल सर्विसेज में मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रसारित कार्यक्रम बिंदास बोल को लेकर दायर किया गया था। 15 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से विवाद कार्यक्रम के आगे के प्रसारण पर रोक लगा दी गई थी। इसके साथ ही, पहले के चार एपिसोड में जिस तरह के कंटेंट का प्रसारण किया गया, उसको लेकर कोर्ट ने यह गौर किया कि ये मुस्लिम समुदाय को अपमानित की नीयत किया गया है।
इससे पहले, केन्द्र ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता की हिमायत करते हुये मंगलवार को न्यायालय से कहा कि प्रेस को नियंत्रित करना किसी भी लोकतंत्र के लिये घातक होगा। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने स्पष्ट किया कि वह मीडिया पर सेन्सरशिप लगाने का सुझाव नहीं दे रहा है लेकिन मीडिया में किसी न किसी तरह का स्वतरू नियंत्रण होना चाहिए। पीठ ने टिप्पणी की कि इंटरनेट को नियमित करना मुश्किल है लेकिन अब इलेक्ट्रानिक मीडिया का नियमन करने की आवश्यकता है।
कोर्ट ने कहा था कि मीडिया में किसी न किसी तरह के स्वत: नियंत्रण की आश्यकता है लेकिन सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि पत्रकार की स्वतत्रंता सर्वोच्च है। मेहता ने कहा, श्श्किसी भी लोकतंत्र के लिये प्रेस को नियंत्रित करना घातक होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्यक्रम की दो कड़ियों के प्रसारण पर रोक लगाते हुये कहा, इस समय, पहली नजर में ऐसा लगता है कि यह कार्यक्रम मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने वाला है। यह कार्यक्रम प्रशासनिक सेवाओं में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की कथित घुसपैठ के बारे में है। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुये न्यायालय ने टिप्पणी की, अधिकांश टीवी सिर्फ टीआरपी की दौड़ में लगे हुये हैं।