अघोषित बिजली कटौती पर विधायकों ने उठाए सवाल, सदन में विपक्ष का हंगामा
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार से शुरू हुआ था। पहले दिन सदन में दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई थी। दूसरे दिन अनुपूरक बजट पेश किया गया। सात सितंबर को जन्माष्टमी का अवकाश रहा। आज बजट पास कराया जाएगा।
मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि अपरिहार्य स्थिति में ही अघोषित कटौती होती है। नेशनल ग्रिड में उपलब्धता कम होने पर ही कटौती होती है। देहरादून, हरिद्वार, मसूरी व अन्य नौ शहरों में कोई कटौती नहीं की जा रही है। सरकार के प्रयास से 400 मेगावाट अतिरिक्त आपूर्ति को कहा गया है, जिसे केंद्र ने सैद्धान्तिक सहमति दे दी।
भोजनावकाश के बाद सदन की कार्रवाई फिर शुरू हुई। नियम-58 के तहत बिजली कटौती पर चर्चा की गई। इस दौरान सदन में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विधायक गोपाल सिंह राणा ने कहा कि ऊर्जा प्रदेश के हालात बदतर हैं। जरा सी हवा में 6-7 दिन बिजली गुल रहती है। लोहे की तारों से बिजली आपूर्ति की जा रही है। विधायक आदेश चौहान ने कहा कि गर्मी में पानी की कमी में बिजली नहीं, बरसात में सिल्ट और सर्दी में बर्फबारी की वजह से पानी कम होने से बिजली उत्पादन घट जाता है। सुमित ह्रदयेश ने कहा कि 2012 से 2017 कांग्रेस की सरकार में मेरी माता वित्त मंत्री थीं, उन्होंने घोषणा की थी कि हल्द्वानी में कटौती नहीं होगी। लेकिन अब हल्द्वानी में 6 से 7 घंटे बिजली गुल होना मामूली बात हो गई है। ममता राकेश ने कहा कि अघोषित बिजली कटौती की वजह से लोग आज सहारनपुर जाने के बहाने ढूंढते हैं। अधिकारी को फोन करें लेकिन समाधान नहीं होता। अनुपमा रावत. ने कहा कि 8 से 12 घंटे अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। सभी वर्ग परेशान हैं। बिजली कहां जा रही है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि ऊर्जा प्रदेश बनाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है। बीजेपी में काम करने की क्षमता, विजन नहीं है। कटौती नहीं हो रही, अघोषित कटौती की जा रही है। राज्य में 30 लाख से ज्यादा उपभोक्ता परेशान हैं।
सत्र के दौरान विधानसभा स्पीकर रितु खंडूरी भूषण ने विधायकों के प्रोटोकॉल उल्लंघन को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सदन गरिमामय जगह है। यहां विधायकों को गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। लेकिन उनके व्यवहार से मैं बहुत निराश हूं। इसे लेकर उन्होंने मुख्य सचिव को अपने चैंबर में तलब किया।
सदन में कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठाया। इस दौरान पीएमजीएसवाई के चीफ इंजीनियर पर फोन नहीं उठाने का मामला उठाया गया। चर्चा के दौरान सीईओ के पीएमजीएसवाई मुख्यालय में छापा मारने और फिर तीन दिन बाद उन्हें हटाए जाने का मामला भी उठा। वहीं, यशपाल आर्य भी चर्चा में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि अफसरशाही बेलगाम हो गई है। ये सवाल प्रीतम का नहीं, पूरे सदन की गरिमा का है। उन्होंने चीफ इंजीनियर पर कारवाई की मांग की।
अतिवृष्टि के मुद्दे पर सदन गरमा गया। मुआवजे के सवाल पर विपक्ष ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को घेरा। बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को हुए नुकसान के मुआवजे को लेकर सवाल पूछा था। विपक्ष ने पूछा कि हरिद्वार में ब्लॉक के अनुसार कितना मुवावजा दिया गया। इस पर मंत्री आंकड़े नहीं दे पाए। मंत्री गणेश जोशी के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और सदन में हंगामा काटा। इसके साथ ही प्रश्न काल समाप्त हो गया।
स्मार्ट सिटी के मुद्दे पर संसदीय कार्यमंत्री और कांग्रेस विधायक के बीच सदन में तीखी नोक-झोंक हुई। प्रीतम सिंह पूछा कि स्मार्ट सिटी के जो बचे काम है उनमें कितना धन खर्च होना है। मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने जवाब दिया लगभग 250 करोड़ के लगभग काम होने बाकी हैं।
प्रश्नकाल के दौरान सदन में स्मार्ट सिटी का मुद्दा उठा। कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने सवाल किया। इस पर शहरी विकास मंत्रीप्रेम चंद ने जबाब दिया कि स्मार्ट सिटी में कुल एक हजार करोड़ का बजट है। जिसमें से एक करोड़ 80 लाख रुपए के स्मार्ट टॉयलेट बने। 500 करोड़ केंद्र और 500 करोड़ राज्य सरकार देगी। केंद्र से 394 करोड़ पैसा मिल चुका है। 241 करोड़ राज्य सरकार भी दे चुकी है। इस दौरान सत्ता पक्ष के विधायक विनोद चमोली, प्रदीप बत्रा ने भी चर्चा में भाग लिया। मंत्री ने कहा 22 में से 16 काम पूरे हो चुके हैं। परियोजना में कुल 14 कंपनियां काम कर रही हैं। 24 जून 2024 तक यह परियोजना पूरी हो जाएगी।
बुधवार के बाद आज सदन में फिर प्रश्नकाल शुरू हुआ है। इस दौरान सबसे पहले विधायकों ने स्मार्ट सिटी का मुद्दा उठाया। विधायकों ने सरकार पर खूब सवाल दागे। वहीं, शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद ने उनका जवाब दिया।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए सदन में पेश 11321 करोड़ के पहले अनुपूरक बजट में 3530 करोड़ रुपये का प्रावधान राजस्व और 7790 करोड़ का पूंजीगत मद में किया गया है। अनुपूरक बजट की मंजूरी के बाद राज्य का कुल बजट 88728 करोड़ रुपये का हो जाएगा। सरकार ने वित्तीय वर्ष के लिए 77407 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया था।