ग्रामीण परिवेश के मनोवैज्ञानिक प्रभावों पर चर्चा की
श्रीनगर गढ़वाल : डायट चड़ीगांव में दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस ऑन एप्रोचेज टुवड्र्स चाइल्ड एंड एडोलेसेंस साइकोलॉजी फॉर इफेक्टिव लर्निंग कार्यशाला शुरू हो गई है। कार्यशाला में देश के विभिन्न प्रांतों के शोधकर्ता प्रतिभाग कर रहे हैं। इस मौके पर वह अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे तथा जनपद के 30 शिक्षक-शिक्षिकाएं इस पर मॉडयूल का निर्माण करेंगे। कार्यशाला के शुभारंभ पर डीएलएड प्रशिक्षुओं ने स्वागत गीत एवं वंदना की शानदार प्रस्तुति दी।
कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विवि की शिक्षा विभाग की एचओडी प्रो. रमा मैखुरी ने बाल मनोविज्ञान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिभागियों को कार्यशाला का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। विवि के साइकोलॉजी विभाग की एचओडी प्रो. मंजू खंडूड़ी ने जीवन पर मनोविज्ञान के प्रभाव को विस्तार से समझाया। साथ ही शिक्षाविद डॉ. अरुण कुकशाल ने ग्रामीण परिवेश के मनोवैज्ञानिक प्रभावों की चर्चा की। अपर निदेशक प्रारंभिक शिक्षा बीएस रावत ने विद्यालय में मनोविज्ञान तथा किशोरावस्था पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताया। डायट के प्रभारी प्राचार्य डॉ. एमएस कलेठा ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. एनपी उनियाल ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इस मौके पर डॉ. डीएस लिंगवाल, जितेंद्र राणा, विनय किमोठी, संगीता डोभाल, नीलिमा शर्मा, शकुंतला कंडारी, शालिनी भट्ट, जेएस कठैत, डॉ. एसके भारद्वाज, विमल आदि मौजूद रहे। संचालन शिवानी रावत, डॉ. प्रमोद नौडियाल ने संयुक्त रूप से किया। (एजेंसी)