कोटद्वार-पौड़ी

अंगद रावण संवाद ने मोहा दर्शकों का मन

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श्रीनगर गढ़वाल : आदर्श रामलीला समिति श्रीनगर के तत्वावधान में चल रही रामलीला के आठवें दिन अंगद रावण संवाद लीला का मंचन किया गया। लीला के दौरान दिखाया गया कि विभीषण की श्रीराम भक्ति से नाराज रावण उनको लंका से निकल जाने का फरमान सुनाता है। जिस पर विभीषण प्रभु श्रीराम की शरण में जाते हैं। इसके बाद वानर सेना के साथ श्रीराम-लक्ष्मण समुद्र के किनारे जाते हैं और समुद्र से लंका में प्रवेश करने के लिए रास्ता मांगते हैं। काफी विनती के बाद भी जब समुद्र रास्ता नहीं देता है तो क्रोधित होकर श्रीराम अपने धनुष पर बाण चढ़ाते हैं। डरा हुआ समुद्र श्रीराम के समक्ष प्रकट होता है और क्षमा प्रार्थना करता है। इसके बाद श्रीराम समुद्र तट पर ही भगवान शंकर का पूजन कर रामेश्वरम की स्थापना करते हैं इसके बाद वानर सेना समुद्र पर पत्थर का पुल बनाती है। श्रीराम अंगद को दूत बनाकर लंका भेजते हैं। अंगद रावण दरबार में पहुंचते हैं और रावण से संवाद करते हैं। अंगद शर्त रखते हैं कि कोई मेरा पैर टस से मस कर दे तो मैं मान जाऊंगा कि आप श्रीराम को पराजित कर सकते हैं। कोई भी अंगद का पैर नहीं हिला पाता। रावण पांव डिगाने के लिए उठता है तो अंगद समझाते हैं कि अगर आप मेरी जगह श्रीराम का पैर पकड़ते तो आपका कल्याण हो जाता। इससे पहले आठवें दिन की रामलीला का शुभारंभ उघोग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष वासुदेव कंडारी और वरिष्ठ दंत रोग विशेषज्ञ डा. केके गुप्ता ने किया। इस अवसर पर आदर्श रामलीला समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कैंतुरा, सचिव दीपक उनियाल सहित आदि मौजूद रहे। (एजेंसी)

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