उत्तराखंड

पेयजल के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन का ऐलान

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देहरादून। पेयजल सप्लाई सिस्टम को निजी हाथों में देने के खिलाफ कर्मचारियों ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है। इसके लिए दोनों पेयजल एजेंसियों जल संस्थान और जल निगम के कर्मचारी संगठन एकजुट हो गए हैं। योजनाओं का संचालन निजी हाथों में देने के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाई गई। पेयजल निगम के कमला नगर कार्यालय में हुई बैठक में जल संस्थान कर्मचारी संगठन और जल निगम कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक हुई। बैठक में एडीबी फंडिंग एजेंसी को पेयजल और सीवरेज योजनाओं के निर्माण और उनके संचालन का जिम्मा देने का तीखा विरोध किया गया। कर्मचारी संगठन के महामंत्री रमेश बिंजौला ने कहा कि सरकार की अपनी एजेंसियां होने के बावजूद 18 साल के लिए पूरा काम निजी हाथों में देने का निर्णय समझ से परे है। कर्मचारी संघ अध्यक्ष विजय खाली ने कहा कि सरकार का ये कदम पेयजल एजेंसियों के अस्तित्व को समाप्त करने जैसा है। भविष्य में कर्मचारियों के वेतन, पेंशन का संकट खड़ा हो जाएगा। उत्तराखंड इंजीनियर्स फेडरेशन के महामंत्री जितेंद्र सिंह देव ने कहा कि यदि जल्द इस पर रोक न लगाई गई, तो आंदोलन तय है। कहा कि सरकार जल्द जल संस्थान और जल निगम का एकीकरण कर पेयजल को राजकीय विभाग बनाए। कर्मचारी महासंघ के महामंत्री गौरव बर्त्वाल ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ प्रदेश भर के पेयजल कर्मचारी एकजुट हैं। इस बार आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। बैठक में धर्मेन्द्र चौधरी, श्याम सिंह नेगी, शिशुपाल रावत, अनिरूध कठैत, भानु प्रताप, हेमन्त, लक्ष्मी नारायण भट्ट, ललित पुरोहित, लाल सिंह रोतैला, आशीष तिवारी, सुभाष मल्होत्रा, संजय कुमार, प्रेम सिंह नेगी, धुम सिंह सोलंकी, जीवानन्द भट्ट, रणवीर सिंह पंवार, राजेन्द्र बिष्ट मौजूद रहे।

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