पलायन को मात : नौकरी छोड़ गांव में अपनाई खेती, युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्रोत
रिखणीखाल ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम रौतखोली निवासी रामकृष्ण कर रहे गांव में खेती
बंजर भूमि को आबाद कर प्रतिवर्ष कमा रहे लाखों रुपये, बगीचा भी कर रहे तैयार
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जिस गांव को ग्रामीणों ने छोड़ दिया था। आज रामकृष्ण लखेड़ा उसी गांव में रिवर्स पलायन कर ग्रामीणों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। रिखणीखाल ब्लाक के अंतर्गत ग्राम रौतखोली निवासी रामकृष्ण लखेड़ा एक वर्ष में बंजर खेती को उपजाऊ कर लाखों रुपये की सब्जी बेच चुके हैं। यही नहीं, रामकृष्ण अब उद्यान विभाग की मदद से गांव में फलों का बगीचा भी तैयार कर रहे हैं।
करीब एक दशक पूर्व ग्राम रौतखेली में पचास से अधिक परिवार रहते थे। लेकिन, गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण ग्रामीण लगातार अपनी पैतृक भूमि को छोड़ते चले गए। नतीजा एक समय ऐसा आया कि गांव में मात्र दो ही परिवार रह गया। ऐसे में दिल्ली की एक निजी कंपनी में काम करने वाले रामकृष्ण लखेड़ा ने नौकरी छोड़कर परिवार के साथ गांव में बसने का निर्णय लिया। कुछ वर्ष पूर्व गांव लौटे रामकृष्ण ने बंजर भूमि को फिर से उपजाऊ किया और इसे अपनी आर्थिकी का जरिया बनाया। वर्तमान में रामकृष्ण सब्जियों के साथ ही फलों के बगीचा लगाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने बाकायदा सुरक्षा दीवार का निर्माण करना भी शुरू कर दिया है।
जानवर बन रहे चुनौती
रामकृष्ण बताते हैं कि उनका गांव पलायन की मार झेल रहा है। ऐसे में जंगली जानवरों से फसल व सब्जी को बचाना सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि इसके लिए उन्होंने तारबाड़ की हुई है। बताया कि उनकी सब्जी बिकने के लिए सतपुली बाजार जाती है। उनसे प्रेरणा लेकर आसपास गांव के युवा भी खेती की ओर अपना रुख कर रहे हैं।