1300 करोड़ से अधिक की लागत से बनी एनएच पर अलवेदर सड़क की पहाड़ी को तिरपाल का सहारा
चम्पावत। केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट और चारधाम परियोजना के तहत 1300 करोड़ से अधिक की लागत से बनी अलवेदर सड़क की पहाड़ियों को ट्रीटमेंट के नाम पर तिरपाल (सुरक्षा मैट) से सहारा दिया जा रहा है। जमीन में सुरक्षा दीवार लगाकर पहाड़ी को खड़ी बना दिया है। जिस पर अब सत्ता पक्ष के बाद कांग्रेस ने भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि बेवजह जनता के धन की बर्बादी कर सुरक्षित पहाड़ियों को डेंजर जोन का रूप दिया जा रहा है। चम्पावत जिला मुख्यालय से तीन किमी दूर तिलौन के पास इन दिनों अलवेदर सड़क पर स्लोप ट्रीटमेंट का कार्य चल रहा है। वैसे तो पूरे एनएच में इस समय सुरक्षा दीवार और अन्य काम हो रहे हैं। लेकिन तिलौन में काम कर रही कंपनी ने ट्रीटमेंट को कांग्रेस ने लाखों करोड़ों रुपये खपाने का प्रोजेक्ट बताया है। पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल का कहना है कि ट्रीटमेंट के नाम पर सुरक्षित पहाड़ी पर अनियोजित विकास का काम किया जा रहा है। आरोप लगाया कि जबरदस्ती यहां पर लोहे के रड को कैमिकल के साथ पहाड़ी के भीतर ड्रिल किया जा रहा है। इससे तीन चार सौ मीटर की जो अब तक सुरक्षित पहाड़ी थी, उस पर भूस्खलन का खतरा बन गया है। यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विनोद बडेला ने कहा कि दो महीने से एनएच पर मिट्टी डालकर यातायात को प्रभावित किया गया है। कहा कि तिरपाल डालकर पेड़ों की आड़ से पकड़ बनाई गई है। जिससे आने वाले मानसून सीजन में यहां पर पहली बार भूस्खलन होने के सौ फीसदी संभावना है।
‘जहां 35 बार दरकी पहाड़ी, वहां ट्रीटमेंट कब होगा’
पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल ने स्वाला डेंजर प्वाइंट से एक वीडियो जारी किया है। उन्होंने कहा कि इस पिछले साल मानसून काल में यहां पर 35 बार पहाड़ी से भूस्खलन हुआ। लेकिन अब तक जिला प्रशासन और सरकार को यह डेंजर प्वाइंट नहीं दिखाई दिया। हर हफ्ते यहां से जिले के आला अफसर गुजरते हैं। कहा कि सुरक्षित बनी दीवारों को तोड़ जबरदस्ती कई इलाकों को डेंजर प्वाइंट बनाया जा रहा है। वह जंगलों के लिए खतरा हैं, क्यों कि ट्रीटमेंट वाले स्थानों पर पेड़ हैं। पूर्व विधायक ने कहा कि अगर शीघ्र स्वाला में ट्रीटमेंट न हुआ तो वह कार्यकर्ताओं के साथ धरने में बैठने को मजबूर होंगे।
स्वाला में शीघ्र काम शुरू होगा। कुछ बदलाव कर प्रस्ताव शासन को भेजा है। वहां पुल प्रस्तावित है। तिलौन में कंपनी ने पहले एलाइनमेंट तय किया होगा। हालांकि आगे जहां पर सुरक्षित पहाड़ी है। उसे अनुबंध से हटा दिया है। टीएमडीएच इसकी मानिटरिंग करती है। -एनसी टम्टा, सहायक अभियंता, एनएच।
कुछ जगह पहले कम भूस्खलन हो रहा था वहां अब बढ़ गया है। कई जगह भूस्खलन पहले अधिक था अब कम हुआ है। पूर्व में प्रस्ताव थे। उसी के अनुसार काम हो रहा है। संशोधन को लेकर प्रस्ताव अभी प्रक्रियाधीन हैं। – हरीश बथ्याल, कार्यवाहक अधिशासी अभियंता, एनएच, लोहाघाट।