उत्तराखंड

बजट पर मिलीजुली प्रतिक्रिया, किसी ने की तारीफ तो किसी ने कहा दिशाहीन

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देहरादून(सं)। बजट पर राजनैतिक दलों के साथ ही आम लोगों की ओर से मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आई है। किसी ने बजट की तारीफ की है तो किसी ने बजट को दिशाहीन कहा है। युवा वर्ग ने तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा और खेलों पर बजट के विशेष फोकस की सराहना की है। नगर निगम देहरादून के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अशोक वर्मा ने कहा कि मंगलवार को विधानसभा में पेश किया गया बजट बहुत संतुलित होने के साथ शानदार है। बजट में हर पहलू को छुआ गया है। साथ ही हर तबके का खास ख्याल रखा गया है। वर्मा के मुताबिक इस बजट से आने वाले समय में उत्तराखंड नई ऊंचाईयों को छुयेगा। क्योंकि बजट में सबके लिए कुछ ना कुछ प्रावधान रखा जाएगा।
वहीं, प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बजट को दिशाहीन बताते हुए कहा कि बजट में न पलायन पर कोई चिंता नजर आई और न आपदाओं से निपटने की दृष्टि। उन्होंने कहा कि पहाड़ में खेती, बंजर भूमि, वन, स्वास्थ शिक्षा , ग्रामीण विकास और मानव संसाधन सीधे-सीधे पलायन से जुड़े हैं, जब तक हमारी सभी योजनाएं पलायन रोकने पर केंद्रित कर नहीं बनायी जाती तब तक उन योजनाओं का कोई लाभ नहीं है। कहा कि कुल मिला कर बजट दिशाहीन है।
बजट में सिर्फ शब्दों की बाजीगरी: नेगी
देहरादून(सं)। प्रतापनगर विधायक विक्रम सिंह नेगी ने कहा कि बजट में सिर्फ शब्दों की बाजीगरी की गई। बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था, गांव में स्वरोजगार, पानी बिजली स्वास्थ्य सुविधाओं पर विस्तार से कोई ध्यान नहीं दिया गया है। पलायन को रोकने को बजट में कोई प्रावधान नहीं है। कृषि, औद्यानिकी की अनदेखी की गई है। वहीं, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव महेश जोशी ने कहा कि बजट में आय के स्रोतों का कोई जिक्र नहीं। गैरसैंण के विकास को लेकर योजनाओं में बजट का प्रावधान नहीं किया गया है।
बजट में आम जनमानस के लिए कुछ नहीं: जागरूक बनो आवाज उठाओ संयोजक यश वीर आर्य ने कहा कि केंद्र के बजट के बाद राज्य के बजट से भी लोगों को निराशा हाथ लगी है। पानी, बिजली, भवन कर में कोई राहत नहीं दी गई है। बजट का बड़ा भाग अनुत्पादक व्यय में, वोट बैंक के लिए पीएम एवं सीएम की योजनाओं में, व्यर्थ के प्रचार में ज्यादा बजट का प्रावधान किया गया है। जिन्हें विभाग खर्च करेंगे ही नहीं।
बेरोजगारी पर भी बात होती तो अच्छा होता : देहरादून(सं)। सामाजिक कार्यकर्ता स्वप्निल सिन्हा ने कहा कि धामी सरकार के इस बजट में तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा और खेल-खिलाड़ियों के लिये तो अच्छी खबर है। लेकिन बेरोजगारी जैसी मुख्य समस्या से जूझ रहे आम युवा को कोई खास राहत नहीं मिली। युवाओं के जख्मों पर मरहम लगाने वाला बजट होता तो और अच्छा होता।

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