संपादकीय

विवादित प्रतिष्ठित नीट परीक्षा

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विभिन्न क्षेत्रों की प्रतियोगी परीक्षाओं में अब मेडिकल की परीक्षाएं भी सवालों की घेरे में खड़ी हो चुकी है। लाखों छात्र मेडिकल के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने के लिए रात दिन मेहनत करते हैं लेकिन जब परीक्षाओं के परिणाम आते हैं तो वह खुद को ठगा हुआ दोराहे पर खड़ा महसूस करते हैं। अब नीट-यूजी में अंकों को बढ़ा-चढ़ाकर घोषित करने को लेकर पूरी परीक्षा प्रणाली कटघरे में खड़ी नजर आती है हालांकि राष्ट्रीय टेस्ट एजेंसी परीक्षा में अनियमितता के आरोपों से इंकार करती है लेकिन छात्रों का आरोप है कि कई छात्रों के अंकों को मनमाने ढंग से घटाया या बढ़ाया गया है, जिसके कारण कई छात्रों की रैंकिंग बिगड़ गई। इस वर्ष नीट की परीक्षा में 24 लाख से अधिक परीक्षार्थियों ने परीक्षाएं दी थी लेकिन परीक्षा परिणाम आने के बाद पूरे देश में भूचाल आ गया, छात्र हतप्रभ रह गए। देश की यह प्रतिष्ठित परीक्षा कई अनियमितताओं के आरोपों के कारण विवाद का केंद्र बन गई है। परीक्षा देने वाले युवा और उनके अभिभावकों के साथ ही कई सामाजिक संगठन सड़कों पर उतर आए हैं और परीक्षा परिणाम को छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बता रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस बार नीट की परीक्षा में 67 छात्र एक जैसे अंक लाए हैं जबकि इससे मात्र दो छात्रों ने संयुक्त रूप से पहली रैंक हासिल की थी। इस अजीबोगरीब परीक्षा परिणाम परिणामों में 1,500 से ज्यादा छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं, जबकि ग्रेस मार्क्स का प्रावधान ही नहीं है। यह भी अब जांच के दायरे में हैं। राष्ट्रीय टेस्ट एजेंसी ने अपनी सफाई में कहा है कि छह केंद्रों पर परीक्षा में देरी के कारण हुई समय की बर्बादी की भरपाई के लिए ग्रेस मार्क्स दिए गए। इन परीक्षाओं में एनटीए की पूरी कार्यप्रणाली ही खुद में कई सवाल पैदा करती है। एनटीए के कंधों पर एक जिम्मेदारी भरी परीक्षा कराने का दायित्व सौंपा गया है, जो अब संदेह के दायरे में है। आरोप तो अब यह भी लग रहे हैं कि पटना में पेपर लीक किया गया है जिसमें एफआईआर भी दर्ज की गई है लेकिन सरकार की ओर से भी कहा गया है कि पेपर लीक नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने भी काउंसलिंग पर किसी प्रकार से रोक नहीं लगाई है लेकिन वहीं दूसरी तरफ ग्रेस मार्क्स वाले 1563 छात्रों को री एग्जाम देने की सुविधा दी गई है, यानी कि इनके ग्रेस मार्क्स हटा दिए गए हैं। स्पष्ट है कि इस परीक्षा ने कई होनहार छात्रों के भविष्य को अधर में लटका दिया है और इनमें कहीं छात्र ऐसे भी हैं कि जो अपने अंतिम अवसर की ओर है। इतने विवाद उठने के बाद भी एनडीए परीक्षाओं को दोबारा करने के लिए तैयार नहीं है, जबकि लाखों परीक्षार्थी इस पूरी परीक्षा प्रणाली पर सवार उठा रहे हैं। यहां सरकार की भी यह जिम्मेदारी है कि वह केवल इतना कहकर अपनापल्ला ना झाड़े की पेपर लीक नहीं हुआ है, बल्कि उन लाखों छात्रों की बात भी सुने जो अपने भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर सवाल उठा रहे हैं।

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