नई टिहरी। भागीरथी को 36 दिन बाद टिहरी बांध से छोड़े जाने के बाद वह अपने पुराने वेग के साथ देवप्रयाग पहुंची। इससे जहां भागीरथी घाटी का लम्बे समय से बना सन्नाटा टूटा, वहीं श्रद्धालु खुशी में गंगा की जय जयकार कर उठे। देवप्रयाग में ही भागीरथी, अलकनंदा से संगम कर गंगा नाम धारण करती है। भागीरथी को बीती 2 जून को रोके जाने से देवप्रयाग तक के 45 किमी क्षेत्र में जन जीवन खासा प्रभावित रहा। टीएचडीसी सूत्रों के अनुसार, कोटेश्वर बांध से रविवार को भागीरथी का जल छोड़ने की शुरूआत कर दी गई है। जिसमें शुरू में 10 से 15 क्यूमेक्स तक जल छोड़ा जायेगा जो आगामी दिनों में धीरे-धीरे बढ़ाया जायेगा। वहीं क्षेत्र में भारी बारिश से टिहरी से देवप्रयाग तक के करीब आठ गदेरे भी उफान पर हैं। इनसे भागीरथी का जलस्तर यहां बढ़ा हुआ भी दिखा। भागीरथी में जल प्रवाह छोड़े जाने से कोटेश्वर झण्डीधार, चाका व मुनेठ सजवाणकांडा पंपिंग योजनाओं से देवप्रयाग व नरेंद्रनगर ब्लॉक के डेढ़ सौ से अधिक गांवों में भी पर्याप्त जलापूर्ति होने लगेगी। वहीं एक माह से अधिक समय से संकट में घिरे भागीरथी के जलीय जीवों को भी इससे नया जीवन मिल सकेगा।