संपादकीय

उत्तराखंड से बड़ी शहादत

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

कश्मीर घाटी में अभी एक दिन पहले ही सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला किया गया था जिसमें चार जवान शहीद हो गए थे तो वही पुनः एक दिन बाद सेना के काफिले पर घात लगाकर बैठे कश्मीर टाइगर्स के आतंकियों ने हमला किया। हमले में पांच जवान शहीद हो गए तो चार गंभीर रूप से घायल हुए। पूरे देश ने जवानों की शहादत पर आंसू बहाया तो वहीं उत्तराखंड इन पांच बलिदान पर पूरी तरह से शोक में डूब गया। उत्तराखंड के लिए यह हमला अपने उन पांचो सपूतों को खोने का था जो उस वाहन में सवार थे जिस पर आतंकियों ने हमला किया। ऐसा पहली बार उत्तराखंड ने शायद देखा होगा कि एक साथ पांच जवान शहीद हो गए। यूं तो उत्तराखंड हमेशा से वीरों और बलिदान की भूमि रहा है लेकिन घाटी में जिस प्रकार से आतंकी संगठनों की गतिविधियां बढ़ रही है उससे पूरे उत्तराखंड में भी गुस्सा साफ नजर आ रहा है। यह बेहद चिंता की बात है कि एक दिन पूर्व बड़ा हमला सुरक्षा बलों पर किया गया था तो उसके बाद बेहद दुस्साहस का परिचय देते हुए इन आतंकवादियों ने पूरी योजना बनाकर सेना के काफिले को निशाना बनाया। साफ है कि यह पूरी योजना बिना स्थानीय मदद के संभव नहीं थी। इसके मायने यह हुए की तमाम कोशिशें के बावजूद भी कहीं ना कहीं अभी भी आतंकियों को पनाह एवं समर्थन देने वाले कश्मीर घाटी में बने हुए हैं। आतंकियों के अंत के साथ लोकल इंटेलीजेंस के लिए अब चुनौती है कि वह किस प्रकार से इन देश के गद्दारों को ढूंढने जो पड़ोसी मुल्क में पालने वाले हैवानों को शरण दे रहे हैं? हाई अलर्ट और हमले के इनपुट के बीच जम्मू-कश्मीर में एक माह में सबसे बड़ा आतंकी हमला अंजाम दिया गया। हिजबुल मुजाहिदीन के दुर्दांत आतंकी बुरहान वानी की बरसी पर सुरक्षाबलों पर हमले के इनपुट सुरक्षा एजेंसियों को पिछले कुछ दिनों से लगातार मिल रहे थे। ऐसे में कठुआ जिले में भी हाई अलर्ट था। बाकायदा सभी एजेंसियों को एहतियात बरतने के निर्देश थे, लेकिन उसके बावजूद भी लगातार दो हमले कहीं ना कहीं आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करते हैं। लगातार आतंकी हमले में हमारे देश के जांबाज अपना बलिदान दे रहे हैं जिससे पूरा देश चिंता में है। निश्चित तौर पर अब स्थिति ऐसी हो चुकी है कि पड़ोसी देश और उसकी जमीन पर पलने वाले आतंकियों को एक तरफा जवाब दिया जाए। घात लगाकर हमले और उसके बाद आतंकियों को मार गिराने की कार्रवाई से अधिक अब सीधा आतंकियों के ठिकानों को ही बर्बाद करने की नीति पर चलना ही सबसे श्रेष्ठ होगा। मोदी सरकार के पूर्व कार्यकाल में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और बड़ाकोट जैसी सैनिक कार्रवाई की जा सकती है तो इस बार उससे भी कहीं बड़ी तैयारी की जरूरत है। पड़ोसी देश की हरकतों के आगे हम अपने सैनिकों को इस तरह खोते हुए नहीं देख सकते, लिहाजा यह जरूरी है कि जैसे को तैसा वाली लीक पर चला जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!