सावन की शिवरात्रि पर भोलेनाथ के जलाभिषेक को उमड़ा सैलाब
ऋषिकेश। सावन माह की शिवरात्रि पर शुक्रवार को नीलकंठ धाम समेत ऋषिनगरी के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने महादेव की पूजा-अर्चना के साथ ही गंगाजल से अभिषेक किया। भगवान से परिवार की सुख-समृद्धि और देश-दुनिया में खुशहाली की कामना भी की। शुक्रवार को भी नीलकंठ शिव मंदिर में कांवड़ियों के जलाभिषेक का क्रम जारी रहा। शिवरात्रि पर ब्रह्म मुहूर्त से महादेव के दर्शन व अभिषेक के लिए कांवड़ियों की कतारें रात तक लगी रहीं। बोल बम के जयकारों के बीच कांवड़ियों ने भोलेनाथ को गंगाजल चढ़ाया। नीलकंठ मंदिर परिसर दिनभर कांवड़ियों की हुजूम से पटा रहा। हर तरफ केसरियाधारी कांवड़ियों की भीड़ नजर आई। सुबह से रात तक मोटर और पैदल मार्ग पर कांवड़ियों का नीलकंठ आवागमन का सिलसिला बरकरार रहा। एसएसपी लोकेश्वर सिंह के मुताबिक शुक्रवार को करीब पांच लाख कांवड़ियों ने नीलकंठ मंदिर में जलाभिषेक किया। सावन की शिवरात्रि में कांवड़ियों की बेतहाशा भीड़ के बावजूद यातायात और सुरक्षा व्यवस्था में कहीं कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं हुआ। पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने मुस्तैदी से ड्यूटी को निभाया। बताया कि यात्राकाल में सभी पुलिसकर्मियों ने बेहतर ड्यूटी की है। इनमें कुछ पुलिसकर्मियों को चिन्हित किया गया है। उन्हें जल्द सम्मानित भी किया जाएगा।
शिवालयों में भक्तों ने की शिव की आराधना
सावन की शिवरात्रि पर ऋषिनगरी की शिवालयों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही। वीरभद्र महादेव, चंद्रेश्वर महादेव, सोमेश्वर महादेव और अन्य शिव मंदिरों में दर्शन-पूजन और जलाभिषेक के लिए भोर से ही श्रद्धालुओं की कतारें लगनी शुरू हुई, जोकि रात तक बरकरार रही। श्रद्धालुओं ने भगवान शिव को गंगाजल अर्पण कर सुख-समृद्धि की कामना की। जलाभिषेक के दौरान नगर क्षेत्र के सभी शिवालय महादेव शंभू के जयकारों से गुंजायमान रहे।
शिवरात्रि को स्नान को भी जुटे श्रद्धालु
शिवरात्रि पर ऋषिकेश में साईं घाट, त्रिवेणीघाट, दत्तात्रेय घाट, मुनिकीरेती में शत्रुघ्न घाट और स्वर्गाश्रम में परमार्थ घाट समेत तमाम गंगाघाटों पर सुबह से दोपहर तक स्नान के लिए श्रद्धालुओं का भारी हुजूम दिखा। गंगा का जलस्तर अधिक होने पर श्रद्धालुओं ने सुरक्षित किनारों पर डुबकी लगाई। अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए एसडीआरएफ और जल पुलिस के जवान भी मौजूद रहे।