हिन्दी हमारी संस्कृति और एकता का प्रतीक : डॉ. थपलियाल
श्रीनगर गढ़वाल : हिन्दी दिवस पर गढ़वाल विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में शनिवार को कवि चन्द्रकुंवर बत्र्वाल की पुण्यतिथि पर उनके साहित्यिक योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये गये। कार्यक्रम की अध्यक्षता संकायाध्यक्ष प्रो. मंजुला राणा ने की। उन्होंने हिन्दी की वैश्विक पृष्ठभूमि और वर्तमान प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि हिन्दी भाषा का सम्मान आज वैश्विक स्तर पर हो रहा है। कहा कि हिन्दी संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बन चुकी है, वहीं सरकारी स्तर पर एनईपी पाठ्यक्रम में भी भाषाओं के योगदान को समझा जा रहा है। डॉ. कपिल पंवार ने हिमवंत कवि चन्द्रकुंवर बत्र्वाल के साहित्यिक योगदान पर चर्चा करते हुए हिन्दी में रोजगार की अपार संभावनाओं पर अपने वक्तव्य रखे। डॉ. अनूप सेमवाल, डॉ. रोहित कुमार, लवकेश कुमार ने हिन्दी की वर्तमान स्थिति और साहित्य पर चर्चा की। वहीं देवस्थली पीजी कॉलेज बायोमेडिकल साइंस एंड रिसर्च श्रीनगर की प्राचार्य डॉ. नीलम थपलियाल ने हिन्दी भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी हमारी संस्कृति और एकता का प्रतीक है। यह हमें हमारे इतिहास, साहित्य एवं परम्पराओं से जोड़ती है। कहा कि हम सभी को हिन्दी भाषा का सम्मान करना चाहिए। कार्यक्रम में रेशमा, प्रेक्षा डोभाल, शीतल शर्मा, शोधार्थी, छात्र-छात्रायें आदि मौजूद रहे। (एजेंसी)