मत्स्य पालन बना ग्रामीणों के स्वरोजगार का जरिया
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : जिले का ब्लॉक रिखणीखाल में मत्स्य पालन स्वरोजगार का जरिया बन रहा है। ब्लॉक के झर्त, अजीतपुर, कर्तिया, जुहीसेरा, ढिकोलिया व बसड़ा आदि गांवों में करीब 40 ग्रामीण मत्स्य पालन से जुड़कर अपनी आर्थिक मजबूत कर रहे है।
कोरोना काल के दौरान झर्त गांव के अरविंद नेगी नौकरी छोड़कर गांव लौट आए थे। गांव में स्वरोजगार के लिए उन्होंने मत्स्य पालन को अपनाते हुए और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया। मत्स्य पालन विभाग की मदद से ग्रामीणों ने 16 तालाब क्लस्टर के रूप में बनाएं। इसके बाद केंद्रीय योजनाओं से भी नेगी ने मत्स्य पालन को आगे बढ़ाया। बताते हैं कि करीब 15 से 18 कुतंल का उत्पादन हो जा रहा है। वहीं कृतिया गांव के विक्रम सिंह पिछले तीन सालों से मत्स्य पालन कर रहे है। 12 तालाबों में मछली की पंगास व कार्प प्रजाति की 10 से 12 कुंतल मछलियों का उत्पादन आसानी से हो जा रहा है। मछलियां स्थानीय बाजार में ही आसानी से बिक जा रही है। जिला मत्स्य अधिकारी पौड़ी अभिषेक मिश्रा ने बताया कि रिखणीखाल क्षेत्र में मत्स्य पालन लोगों के लिए स्वरोजगार का जरिया बन रहा है। इसके लिए विभागीय स्तर पर तालाब, बायोफ्लोक सिस्टम और प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है।