देवभूमि उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय और मंत्रमुग्ध कर देने वाला है: राज्यपाल
देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को राजभवन ऑडिटोरियम में वन विभाग उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित वन्य जीव सप्ताह 2024 के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। इस वर्ष वन्यजीव सप्ताह “मानव वन्यजीव सह अस्तित्व” के विषय के अंतर्गत मनाया गया। इस अवसर पर राज्यपाल ने संजय सोंधी द्वारा लिखित पुस्तक मॉथ्स ऑफ़ इंडिया: ए फील्ड गाइड का विमोचन भी किया। इस पुस्तक में मोथ्स की प्रत्येक प्रजाति की तस्वीरें और भारत भर में मोथ्स का वितरण शामिल है। राज्यपाल ने पुस्तक विमोचन के उपरांत कहा कि यह गाइड लोगों को मोथ्स की पहचान करने और मोथ वॉचिंग को शौक के रूप में लोकप्रिय बनाने में मदद करेगी। इस अवसर पर राज्यपाल ने वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी “विंग्स ऑफ वंडरः रेपटर एक्जिबिशन” का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय और मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। यहां की हरी-भरी घाटियां, ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़, गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां, और घने जंगल प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी राज्य वन एवं वन्य जीव संपदा से समृद्ध प्रदेश है। यह देवभूमि अपनी अनूठी प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही विशिष्ट जैव विविधता के लिए विश्वभर में विख्यात है। यहां की विशिष्ट भौगोलिक स्थलाकृति व जलवायु विविधता के कारण ही यहां अनेकों प्रकार के वन और वन्य जीव पाए जाते हैं। जिस कारण देश-विदेश के लाखों पर्यावरण एवं वन्य जीव प्रेमी वर्ष भर यहां आते रहते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि आज यह समझना बहुत जरूरी है कि हम पृथ्वी के संसाधनों के ओनर नहीं हैं बल्कि ट्रस्टी हैं, इसलिए हमारी प्राथमिकताएं मानव केंद्रित होने के साथ-साथ प्रकृति केंद्रित भी होनी चाहिए। जंगलों एवं वन्य जीवों के संरक्षण, संवर्धन एवं पोषण की जिम्मेदारी हम सभी की है। उन्होंने कहा हमें वन एवं वन्य जीवों की उपयोगिता एवं मानव वन्यजीव सह-अस्तित्व के महत्व को समझना होगा। राज्यपाल ने बताया कि देश-प्रदेश के साथ ही विश्व के कई भागों में वन संसाधनों, वन्य जीवों के घरों की क्षति बहुत तेजी से हुई है। उन्होंने कहा कि वनों का विनाश किया जाना एक तरह से मानवता का विनाश करना है और साइंस एंड टेक्नोलॉजी की मदद से हम क्षति-पूर्ति तेज गति से कर सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि राज्य में वन्यजीव संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप राज्य में मुख्य वन्य जीवों बाघ, हाथियों और हिम तेंदुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि यह हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि अपनी आने वाली पीढ़ियों के हितों को ध्यान में रखकर प्राकृतिक सम्पदा की सुरक्षा में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि हम सभी प्रकृति उन्मुख होकर वन्य जीवों के प्रति प्रेम एवं सद्भाव का भाव रखें तथा अपनी धरा को स्वच्छ एवं हरा-भरा बनाते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ते रहें। उन्होंने कहा कि हम अपने इस अहम दायित्व के प्रति सजग और सचेत होंगे एवं पूर्ण निष्ठा से वन एवं वन्य जीव संरक्षण हेतु अपना श्रेष्ठ योगदान देंगे।
इस अवसर पर प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वन विभाग के कुशल अधिकारियों के नेतृत्व में प्रदेश में मानव एवं वन्य जीव सह अस्तित्व की दिशा में उचित कदम उठाए जा रहे हैं साथ ही हिम तेंदुओं के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु उत्तरकाशी में एक विशेष केंद्र की स्थापना का कार्य भी गतिमान है। इस अवसर पर मानव एवं वन्य जीव संघर्ष के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले वन सेवा के अधिकारियों को सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, प्रमुख वन्य संरक्षक (हॉफ) डॉ. धनंजय मोहन, प्रमुख वन्य संरक्षक (वन संरक्षण) रंजन कुमार मिश्रा सहित वन विभाग के अधिकारी एवं विद्यालयों के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।