कोटद्वार-पौड़ी

बागवानी के विकास के साथ ही पर्यावरण संतुलन बनाए रखना जरूरी

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

श्रीनगर गढ़वाल : गढ़वाल विवि में हिमालय में बागवानी विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन स्वामी मनमंथन प्रेक्षागृह में तकनीकी पैनल एवं पोस्ट सत्र का आयोजन किया गया। द्वितीय दिन के सत्र में देशभर से आए वानिकी, उद्यान एवं कृषि संबंधित विज्ञान के विशेषज्ञों ने देश में बागवानी की संभावनाओं पर मंथन किया। वानिकी, उद्यान एवं कृषि संबंधित पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई। जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय की उद्यानिकी विभाग की प्रो. रत्ना राय ने कहा कि हिमालय क्षेत्र में बागवानी के उत्पादों की देश-विदेश में अलग पहचान है। हिमालय के मौसम का प्रभाव यहां के फल-फूलों की पोषक शक्ति को विशेष बनाता है, इसलिए उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए यहां बागवानी में रोजगार की विशेष संभावनाएं हैं। सत्र में डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजय के द्विवेदी ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में बागवानी के उत्पादों को उन्नत तकनीक और अनुसंधान के माध्यम से और बेहतर किया जा सकता है। हमें उन्नत किस्मों का विकास कर बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को और बढ़ाना होगा, ताकि यह क्षेत्र किसानों के लिए अधिक लाभदायक बन सके। संकायाध्यक्ष डॉ. एके नेगी ने स्थानीय फल और सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकी और संसाधन प्रबंधन की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो आरके. मैखुरी ने कहा कि बागवानी के विकास के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन भी बनाए रखना जरूरी है। इस अवसर पर डॉ. मुनीष कुमार, डॉ. डीएस चौहान, डॉ. तेजपाल सिंह बिष्ट आदि ने विशेष सहयोग दिया। (एजेंसी)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!