उत्तराखंड

परमार्थ निकेतन में धूमधाम से मनायी दीपावली

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– भारत सहित विश्व के कई देशों से आये श्रद्धालुओं ने दीप प्रज्वलित कर खुशियाँ मनायी
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी ने माँ गंगा के पावन तट पर श्री गणेश जी व लक्ष्मी जी का वेदमंत्रों व शंख ध्वनि के साथ पूजन-अर्चन कर भारत की समृद्धि की प्रार्थना की। इस अवसर पर भारत सहित विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं ने सहभाग कर इस पावन अवसर की दिव्यता का आनंद लिया। वेदमंत्रों की पवित्र ध्वनि और शंख की गुंजायमान ध्वनि ने समस्त वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
सभी ने मिलकर परमार्थ प्रांगण को दीपों से सुसज्जित कर रोशनी और खुशियों का उत्सव मनाया। विदेशियों ने भी परमार्थ प्रांगण में दीप प्रज्वलित कर खुशियाँ मनायी। आज का यह क्षण सामूहिक भक्ति, एकता, प्रेम और समृद्धि का दिव्य संदेश दे रहा है, लोकल दीपावली, ग्लोबल दीपावली के साक्षात दर्शन हो रहे हैं। आज केवल भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया दीपावली मना रही है। आज वही अयोध्या जिसकी कभी सूनी सड़कें, गंदी गलियां, राह निहारते घाट और हाट थे कि कोई तो आये आज वहीं जगमगा रही है और पूरे विश्व का स्वागत कर रही है तथा पूरा विश्व अयोध्या में प्रभु श्री राम का अभिनन्दन कर रहा है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि दीपावली, रोशनी और खुशियों का पर्व है, आध्यात्मिक और आर्थिक समृद्धि का आधार है। यह पर्व न केवल हमारे घरों को प्रकाशित करता है, बल्कि हमारे हृदयों में भी उजाला भरता है। दीयों का यह उजाला वैश्विक शांति, सद्भाव, समरसता और समृद्धि के रूप में पूरे विश्व को प्रकाशित करे यही प्रभु से प्रार्थना है।
दीपावली का पर्व केवल बाहरी स्वच्छता और रोशनी का नहीं है, बल्कि यह हमें आत्म-निरीक्षण और आत्म-सुधार का भी अवसर प्रदान करता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जिस प्रकार हम अपने घरों और आस-पास की सफाई करते हैं, उसी प्रकार हमें अपने भीतर भी साफ-सफाई भी करना जरूरी है। हमारे भीतर जो भी दूर्गुण, नकारात्मकता और भेदभाव के जाले हैं, उन्हें दूर करना जरूरी है। दीपावली का पर्व हमें इस दिव्य अवसर का उपहार देता है कि हम अपने भीतर की स्वच्छता और पवित्रता को बनाए रखें।
दीपावली का पर्व आर्थिक समृद्धि और खुशहाली का भी प्रतीक आज के दिन लोग अपने व्यवसायों में प्रगति की कामना करते हुये धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
दीपावली का पर्व केवल बाहरी चमक-दमक का नहीं, बल्कि आंतरिक समृद्धि और सोच की नवीनीकरण का भी पर्व है। जिस तरह हम दीपावली पर अपने बहीखाते और हिसाब-किताब की नयी शुरुआत करते हैं, उसी तरह हमें अपनी नकारात्मक सोच और आदतों को भी बदलना हो क्योंकि यही वास्तविक विकास का आधार है। हमारी सोच की समृद्धि ही वास्तविक समृद्धि है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि यही समय है जब हम अपने भीतर के अंधकार को दूर करें और सकारात्मकता के साथ आशा का दीप जलाएं। आइए, इस दीपावली पर हम संकल्प लें कि हम न केवल अपने घरों और आस-पास को रोशन करेंगे, बल्कि अपने दिलों को भी रोशन करेंगे।

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