मनमाने तरीके से सरकारी नौकरी के नियम नहीं बदल सकते
-राजस्थान नियुक्ति मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
नईदिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया के नियमों में बड़ा फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकारी नौकरी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता.
पांच जजों की संविधान पीठ के सामने ये सवाल था कि क्या भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव किया जा सकता है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि सरकारी पदों में भर्ती की प्रकिया पूर्णतया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए.
दरअसल, यह मामला राजस्थान हाई कोर्ट में नियुक्ति से जुड़ा है. इस मामले में नौकरी से जुड़ी लिखित परीक्षा और इंटरव्यू होने के बाद 75त्न क्वालीफाइंग नंबर पर ही नियुक्ति करने का नियम बनाया गया था. इस नए नियम के चलते बहुत से अभ्यर्थी नौकरी पाने से वंचित रह गए थे. उनका कहना था कि एक बार प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर नियम में पहले कहा गया है कि नौकरी की पात्रता में बदलाव हो सकता है, तो ऐसा किया जा सकता है. लेकिन ऐसा समानता के अधिकार का उल्लंघन करते हुए मनमाने तरीके से नहीं हो सकता.
2009 में हुई इस भर्ती के बीच में नया नियम बना दिए जाने के चलते बहुत से अभ्यर्थी नौकरी पाने से वंचित रह गए थे. 3 अभ्यर्थियों ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी. उनका कहना था कि एक बार प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता. लेकिन 2010 में उनकी याचिका खारिज हो गई थी. इसके बाद 2013 में सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने मामला 5 जजों की संविधान पीठ को भेजा. इस साल चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने मामले को सुना.
बेंच की तरफ से जस्टिस मनोज मिश्रा ने सर्वसम्मत फैसला पढा. उन्होने कहा कि अगर किसी पद पर नियुक्ति के लिए नियम मौजूद नहीं हैं, तो नियोक्ता नियम तय कर सकता है. लेकिन यह भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से पहले किया जाना चाहिए. किसी नौकरी का विज्ञापन जारी होते ही भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाती है. चुने हुए उम्मीदवारों की नियुक्ति के साथ इस प्रक्रिया का अंत होता है. एक बार प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद नियुक्ति से जुड़े नियम नहीं बदले जा सकते.