देहरादून। जन सहयोग के बिना भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड की अवधारणा को धरातल पर उतारा जाना संभव नहीं है। राज्य को रिश्वतखोरी, जबरन वसूली, धोखाधड़ी,सरकारी धन का गबन,भू माफियाओं के काले कारनामों जैसे अपराधों से आजाद करने के लिए सरकारी व्यवस्थाएं, विभाग पूर्ण रूप से सफल नहीं हुए हैं। यह बात सोमवार को संयुक्त नागरिक संगठन की ओर से अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस पर रेसकोर्स स्थित अमरीक हॉल में भ्रष्टाचार बनाम ईमानदारी विषय पर जनसंवाद कार्यक्रम में वक्ताओं ने कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की स्थापना का मुख्य कारण भी यही था कि यहां के पर्वत मैदान के लोग ईमानदार नौकरशाही सरकारी व्यवस्थाओं के साथ सुकून का अनुभव कर सकेंगे। भ्रष्टाचार से लड़ने और ईमानदारी को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री को अब नए कदम उठाने ही होंगे। वक्ताओं ने कहा कि विभागों में जवाबदेही की नई प्रणाली विकसित करनी होगी। मुख्य अतिथि चित्रांचल कल्याण समिति के संरक्षक चंद्रगुप्त विक्रमादित्य रहे। संचालन नवीन कुमार सडाना ने किया। संवाद में आरपी सिंह, शांति प्रसाद नौटियाल, अवधेश शर्मा, रजनीश मित्तल, चौधरी ओमवीर सिंह, दीपचंद शर्मा, जीएस जस्सल, ब्रिगेडियर केजी बहल,डॉ एसएल गुप्ता, विशंभर नाथ बजाज, दीपक शर्मा, एलआर कोठियाल, वीरेंद्र सिंह नेगी, दिनेश भंडारी, सुशील त्यागी, डॉ मुकुल शर्मा, मुकेश नारायण शर्मा, जितेंद्र डंडोना, ठाकुर शेर सिंह, वीरेंद्र सिंह नेगी, कर्नल पदम सिंह थापा, खुशबीर सिंह, प्रमोद सैनी, नरेश चंद्र कुलाश्री, उपेंद्र बिजलवान, भगवती प्रसाद भट्ट, महेश भूषण, प्रदीप कुकरेती, जगदीश बाबला आदि ने अपने विचार रखे।