मातृभूमि की रक्षा में पांच युद्ध लड़ने वाले जयकृष्ण बुडाकोटी का निधन

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मूल रूप से जहरीखाल प्रखंड के अंतर्गत ग्राम चाई के रहने वाले थे कैप्टन जयकृष्ण बुड़ाकोटी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : मातृभूमि की रक्षा के लिए पांच युद्ध लड़ने वाले अनुपम गौरव सेनानी कैप्टन जयकृष्ण बुड़ाकोटी का निधन हो गया है। वह 95 वर्ष के थे। जयकृष्ण बुड़ाकोटी के निधन पर विभिन्न संगठनों ने शोक व्यक्त किया है। कहा कि देश रक्षा के साथ ही समाज सेवा में दिया गया बुड़ाकोटी का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।
जयहरीखाल प्रखंड के ग्राम चाई निवासी कैप्टन जयकृष्ण बुडाकोटी 5 जुलाई 1948 को सेना के बंगाल इंजीनियर्स ग्रुप में शामिल हुए। अपने अनुपम शौर्य एवं उत्कृष्ट प्रदर्शन से उन्होंने देश के लिए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित की। उन्होंने भारत पाक युद्ध (श्रीनगर-जम्मू कश्मीर), सन 1961 के गोवा मुक्ति संग्राम (गोवा), सन 1962 के भारत चीन युद्ध (बोमडिला-अरुणाचल प्रदेश), सन 1965 के भारत-पाक युद्ध (बीरूबाड़ी-पश्चिम बंगाल), सन 1971 के भारत पाक युद्ध/ बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (जैसोर-पश्चिम बंगाल) में भाग लिया। गोवा मुक्ति संग्राम (1961) के दौरान वह सबसे पहले गोवा पहुंचने वाली सैनिकों में शामिल थे। इस दौरान उनके साथ लेफ्टिनेंट कर्नल चड्ढा (2 राजपूत बटालियन), दो स्नैपर, एक द्विभाषी, एवं तीन सैनिक थे। अपने शौर्य व पराक्रम के लिए कैप्टन बुड़ाकोटी को कई युद्ध एवं सेना मेडल से भी नवाजा गया। जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय लैंसडौन की ओर से भी गत वर्ष उन्हें सम्मानित किया गया। 31 जुलाई 1980 को सेना में 32 वर्ष सेवा करने के उपरांत वह सेवानिवृत हुए और इसके पश्चात पूरी तरह ग्राम विकास और सामाजिक कार्यों में संलग्न हो गए। गत दिवस 95 वर्ष की आयु में संयुक्त चिकित्सालय कोटद्वार में उनका निधन हुआ। उनके पुत्र डा. पदमेश बुड़ाकोटी के अनुसार वह ज्योतिष शास्त्र के भी प्रकांड विद्वान थे। उनके परिवार में दो पुत्र, तीन पुत्रियां और 11 नाती-पोते हैं। कैप्टन जयकृष्ण बुड़ाकोटी के निधन पर विभिन्न सामाजिक संगठनों, चाई ग्रामोत्सव समिति एवं क्षेत्रीय जनता ने गहरा शोक प्रकट किया है और उनके अवसान को देश समाज के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।

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