देवभूमि के लिए खतरा है लिव-इन रिलेशनशिप कानून

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : लिव इन रिलेशन शिप कानून को देवभूमि के लिए खतरा बताते हुए बार एसोसिएशन ने इसे जल्द वापस लेने की मांग की है। कहा कि इससे प्रदेश की संस्कृति व सभ्यता को नुकसान पहुंचेगा। अधिवक्ताओं ने कानून के विरोध में प्रदर्शन भी किया।
मंगलवार को बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पंत के नेतृत्व में अधिवक्ता सिम्मलचौड़ स्थित न्यायालय परिसर में एकत्रित हुए। एसोसिएशन ने कानून को उत्तराखंड की संस्कृति के खिलाफ बताया। कहा कि उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता में बयानामा सहित कई महत्वपूर्ण पंजीकरणों को आनलाइन कर दिया है, जो कि अधिवक्ताओं के हितों पर सीधा कुठाराघात है। जिसे अधिवक्ता किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। कहा कि पंजीकरण व बयानामा करने से अधिवक्ताओं को वंचित रखा गया है। बगैर विधिक जानकारी के सीधे आनलाइन पंजीकरण की सुविधा से मुकदमों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी की संभावना है, अधिवक्तओं के माध्यम से मुकदमों की अनावश्यक संख्या हो रोका जा सकता है। लिव इन रिलेशनशिप को राज्य की संस्कृति के लिए घातक बताया। इस मौके पर रश्मि जोशी, शरद गुप्ता, मुकेश कबटियाल, पंकज भट्ट, अमित सजवाण, रीना रावत, सुनील खत्री, राकेश कुकशाल मौजूद रहे।

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