छोरी 2 मूवी रिव्यू: सोहा अली खान ने की दमदार वापसी, नुसरत भरुचा की हॉरर फिल्म में खौफ की है कमी

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अमेजन प्राइम की तारीफ की जानी चाहिए कि उसने ऐसी कहानियां दिखाईं जो सच्ची हैं। हॉरर जॉनर में गहरी दिलचस्पी रखने वाले निर्देशक विशाल फुरिया छोरी 2 के साथ वापस आ गए हैं। उन्हें नुसरत भरुचा का साथ मिला है, एक ऐसी अदाकारा जिसने बार-बार अपनी क्षमता दिखाई है, लेकिन इस बार उनके साथ सोहा अली खान हैं, जो सीक्वल में भी प्रभावशाली हैं। छोरी ने पहले ही हमारे दिमाग पर एक भयावह छाप छोड़ी थी और अब छोरी 2 भी इसी तरह की कहानी पर आधारित है। कुछ किरदार नए हैं और कई वही हैं।
फिल्म की कहानी साक्षी के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका किरदार नुसरत भरुचा ने निभाया है, जो मातृत्व की अटूट डोर से बंधी हुई है और उसने अपने क्रूर पति के साथ-साथ अपने क्रूर पापी को भी कठोर सबक सिखाया है। वह अपनी नाजुक बेटी के साथ एक शापित और निषिद्ध स्थान पर शरण चाहती है। सात खतरनाक साल बीत जाते हैं, फिर भी उसकी प्यारी बेटी सूरज की जीवनदायी, जीवंत किरणों के बीच एक क्षण भी नहीं टिक पाती। यह धूर्त अपहरणकर्ता कौन है और वे इस मासूम बच्ची पर क्या-क्या अत्याचार करने की साजिश रच रहे हैं? ये इस इमोशन हॉरर ड्रामा में आपको देखने को मिलेगा।
निर्देशक विशाल फुरिया की भी इस बात के लिए तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने हिंदी सिनेमा में हॉरर के तय फॉर्मूले को न अपनाते हुए हिम्मत दिखाई है। लगता है उन्होंने आदित्य सरपोतदार की मुंज्या से कुछ प्रेरणा ली है। उनकी कहानी की खलनायिका के पास अपनी ताकत है, वह एक जगह बैठकर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर सकती है। वह अपने शिकार को धोखा देकर अपने पास भी ला सकती है। इस किरदार को सोहा अली खान ने निभाया है। उन्हें स्क्रीन पर देखकर डर लगता है, यही उनके किरदार की जीत है। लेकिन निर्देशक ने यह सुनिश्चित किया है कि नुसरत ही फिल्म की हीरो बनी रहें। छोरी 2 कहानी के संवेदनशील केंद्र पर सीधा प्रहार करती है। अप्रत्याशित घटनाओं की एक सतत धारा सामने आती है, जो आपको हर पल स्क्रीन पर जमे रहने के लिए उत्सुक बनाती है। फिल्म की कहानी भी दिलचस्प है।
क्लाइमेक्स जिसमें साक्षी के साथ दिवंगत आत्माएं शैतान से लड़ती हैं, वह भी बढिय़ा बनाया गया है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए दर्शकों से जो धैर्य चाहिए, वही इस फिल्म की असली कसौटी है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी बहुत प्रभावी नहीं है। ग्रामीण इलाकों की ऐसी कहानियों में वहां के लोक संगीत को मौका दिया जाना चाहिए था। विशाल फूरिया को हैरी पॉटर जैसा सीन बनाने से भी बचना चाहिए था, जिसमें चेहरे के जरिए किसी व्यक्ति की आत्मा को बाहर निकाला जाता है। इसके अलावा, लेखक कई बिल्ड-अप के बाद हॉरर पार्ट को पूरा नहीं कर पाए।
नुसरत और उनकी बेटी हार्दिका शर्मा ने सराहनीय काम किया है। नुसरत के क्लाइमेक्स सीन तारीफ के काबिल हैं। हार्दिका ने सात साल की लडक़ी की भूमिका में दिल को छू लेने वाला अभिनय किया है, जिसे शादी के लिए तैयार किया जा रहा है। जिस तरह से नुसरत ने एक मां द्वारा अपने मासूम बच्चे की रक्षा के लिए उठाए जाने वाले हर कदम को दिल को छू लेने वाला बताया है, वह तीव्रता और गहराई से भरा हुआ है। भावनात्मक और भयावह दोनों ही दृश्यों में उनका चित्रण बेदाग है। सोहा अली खान सीक्वल का सबसे बेहतरीन हिस्सा हैं। दासी मां के किरदार में वह अप्रत्याशित और बेहद मार्मिक हैं। सोहा को पहले कभी इस तरह के नकारात्मक किरदार में नहीं देखा गया है, इसलिए यह और भी दिलचस्प हो जाता है। गश्मीर महाजनी का योगदान भी कहानी को आगे बढ़ाने में प्रभावी है।
सीक्वल अपनी पहली फिल्म की रिलीज के चार साल बाद रिलीज हुआ है। हालांकि हमें इंतजार का अंदाजा नहीं था, लेकिन लगता है कि छोरी 2 का आगमन सही समय पर हुआ है। फिलहाल हॉरर जॉनर की फिल्मों को खूब पसंद किया जा रहा है और चूंकि विशाल फुरिया की कई डिपार्टमेंट में कोई कमी नहीं है, इसलिए दर्शकों को इस फिल्म को आजमाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। नुसरत भरुचा और सोहा अली खान की फिल्म में खामियां हैं, लेकिन सिर्फ वही जिन्हें आसानी से नजरअंदाज किया जा सकता है। बीच में कुछ बोरिंग पहलुओं की वजह से ही छोरी 2 को 5 में से 3 स्टार दिए जा रहे हैं।

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