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सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा कर नरेला के रास्ते दिल्ली में घुसे किसान, बर्डर सील

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नई दिल्ली, एजेंसी। किसान आंदोलन का आज चौथे दिन जारी है। सरकार की ओर से वार्तालाप की पेशकश की गई है जिसे किसानों ने सिरे से ठुकरा दिया है। इधर एक बड़ी खबर आ रही है कि किसानों ने नरेला के रास्घ्ते दिल्ली की ओर कूच कर दिया है। पुलिस को दोनों ओर से किसानों ने घेर लिया है। अब किसान इस रास्ते दिल्ली को जा सकते हैं। इधर किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि हम (किसान) किसी हाल में बुराड़ी नहीं जाएंगे। उन्होंने बताया कि हमारे 30 संगठन मिल कर फैसला ले रहे हैं। किसानों ने कहा है कि उनका धरना जारी रहेगा। सरकार की ओर से आए पत्र के जवाब में किसानों ने यह साफ कर दिया है कि बिना बुराड़ी गए ही वह बर्डर पर धरना रखेंगे और अगले 15 दिनों में दिल्घ्ली को पांचों तरफ से घेर लेंगे।इधर किसानों के पक्ष में ट्वीट करते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि केंद्र सरकार बिना शर्त किसानों से बात करे। किसानों ने यह भी साफ कर दिया है कि किसी भी राजनीतिक शख्स को वो अपने मंच पर जगह नहीं देगे।
सिंघु बर्डर पर पुलिस बेरिकेडिंग के दोनों तरफ किसानों का बेड़ा पहुंच गया है। मौजूदा स्थिति में पुलिस बेबस होती दिख रही है। अचानक किसानों का एक ग्रुप लामपुर बर्डर से ट्रेक्टरों के साथ यहां पहुंच गया है। पानीपत और सोनीपत फिर गांवों के रास्ते दिल्ली में धुस गया हे ट्रैक्टरों का बेड़ा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को धरने देने के लिए दिल्घ्ली के बुराड़ी में स्घ्थित संत निरंकारी मैदान पहुंचने के लिए कहा था। इसके बाद वहीं पर उनके प्रतिनिधियों से बात करने का ऐलान हुआ था। इधर इससे पहले किसानों ने यह कहते हुए सरकार की शर्त को ठुकरा दिया कि वह बिना शर्त सरकार के वार्ता करेंगे।
वहीं, उत्तर प्रदेश के किसान यूपी गेट पर जमा हैं। रविवार दोपहर यूपी के किसानों ने दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड तोड़ डाले, हालांकि भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के कहने पर मामला शांत है। वहीं, दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश के किसानों को रोकने के लिए 2 लेयर में बैरिकेड लगाए हैं। अगर एक टूटा तो दूसरे पर हर हाल में किसानों को रोकने का इंतजाम है।

मनोहर लाल बोले- किसान आंदोलन की वजह से अगर कोरोना की स्थिति बिगड़ी तो पंजाब सरकार होगी जिम्मेदार
चंडीगढ़, एजेंसी। किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा और पंजाब के सीएम आमने-सामने हैं। पिछले दो दिनों से कैप्टन अमरिंदर सिंह और मनोहर लाल के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। हिसार पहुंचेमुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कोराना के कारण ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है। इसी कारण से यह रैली भी वर्चुअल आयोजित की गई है। मुझे हैरानी है कि पंजाब की सरकार ने इस आंदोलन को प्रोत्साहित किया। अगर इसके कारण कोरोना की स्थिति बिगड़ती है तो मैं इसके लिए पंजाब सरकार को दोषी मानता हूं।
इसी विषय को लेकर मैंने पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से बातचीत करने की कोशिश की थी लेकिन वह मना कर रहे हैं। अब जब हमने उनकी बातचीत का रिकर्ड सोशल मीडिया पर डाला तो उनके पास कोई जवाब नहीं बचा। क्योंकि यह पंजाब सरकार का प्रायोजित कार्यक्रम है, इसलिए वह अब पीटे भाग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने किसानों को इसलिए रोका कि दिल्ली में इतने लोगों को दाखिल नहीं होने दिया जाएगा। मगर वे जोर जबरदस्ती से आगे बढ़ गए तो हमने फैसला किया कि हम बल प्रयोग नहीं करेंगे। आंसू गैस व पानी की बौछार को मैं बल प्रयोग नहीं मानता। ये तो लोगों को रोकने के लिए एक अवरोधक के काम आते हैं। अब ये लोग सीमा पर बिना सामाजिक दूरी के दो जगह बैठे हैं, जो एक खतरे का संकेत है। गृह मंत्री ने भी इनसे बुराड़ी के मैदान में इकट्ठा होने की अपील की है। अगर ये लोग बुराड़ी के मैदान में इकट्ठा हो जाते हैं तो इन्हें बातचीत के लिए जल्दी बुलाया जा सकता है।
कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के सीएम मुझसे नाराज नहीं हैं, लेकिन उन्होंने जिस प्रकार की ओछी भाषा का इस्तेमाल किया है, वह एक सीएम को शोभा नहीं देता। उस पर मैं बोलूं यह अच्छा नहीं है। लोग सोशल मीडिया पर बोल रहे हैं कि एक मुख्यमंत्री का दूसरे मुख्यमंत्री के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए। उन्होंने जैसा व्यवहार किया है, मैं ऐसा व्यवहार नहीं कर सकता।

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