टैक्सी व्यवसायियों को भी भारी कठिनाई व नुकसान झेलना पड़ा

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अल्मोड़ा। कोविड-19 महामारी में टैक्सी व्यवसायियों को भी भारी कठिनाई व नुकसान झेलना पड़ा है। अनलॉक-1 में जहां, अधिकांश संस्थानों व कारोबारों के संचालन की अनुमति दे दी गई है, वहीं टैक्सी व्यवसाय अब भी ठप पड़ा है। टैक्सी व्यवसायियों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद से व्यवसाय ठप होने के बावजूद सरकार कोई सुध नहीं ले रही। दोहरे मानदंड अपनाए जा रहे हैं। उल्टा इंश्योरेंस कंपनियां बिना कागजातों के भी बीमे के लिए दबाव बना रहीं हैं। महासंघ टैक्सी यूनियन उत्तराखंड (कुमाऊं मंडल) ने इस संबंध में संभागीय परिवहन अधिकारी को ज्ञापन भेज टैक्सी मालिक, चालकों की समस्याओं की सुध लेने की मांग उठाई है। ज्ञापन में टैक्सी महासंघ यूनियन ने कहा है कि लॉकडाउन के बाद से टैक्सी व्यवसाय पूर्णतया ठप पड़ा है। लेकिन परिवहन व्यवसायियों की समस्याओं को ओर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। दूसरी ओर लगभग तीन माह से टैक्सी व्यवसाय ठप होने के बावजूद इंश्योरेंस कंपनियां टैक्सी कारोबारियों पर अनैतिक दबाव बना रहीं हैं। कंपनियां बिना पूर्ण कागजातों के भी इंश्योरेंस करने को तैयार हैं। महासंघ अध्यक्ष ठाकुर सिंह बिष्ट ने कहा कि टैक्सी व्यवसायी साल में न्यूनतम 25 हजार इंश्योरेंस, 18 हजार के यात्री टैक्स के अलावा रोड टैक्स व फिटनेस परमिट के रूप में कम से कम 50 हजार रुपये सरकार को चुकाते हैं। हालांकि सरकार की ओर से 30 सितंबर तक देयकों के भुगतान की छूट दी गई है। लेकिन इंश्यारेंस कंपनियां मनमानी कर रहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने टैक्सी व्यवसाय की ओर आंखें मूंद रखी हैं। बाहर से पास बनाकर आने वाले वाहनों को पूरी सवारी की अनुमति दी जा रही है। जबकि स्थानीय टैक्सियों में आधा क्षमता की सवारी की बाध्यता से व्यवसायियों का उत्पीड़न हो रहा है। व्यवसायियों ने पूर्व की भांति टैक्सियों में पूरी सवारी लाने-ले जाने की अनुमति दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई। जिससे की टैक्सी व्यवसाय को पुनीर्जीवित किया जा सके। ज्ञापन भेजने वालों में अध्यक्ष ठाकुर सिंह सहित महासचिव जगदीश रौतेला आदि शामिल हैं।

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