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मतांतरण पर मध्य प्रदेश के कानून के खिलाफ सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार

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नई दिल्ली, एजेंसी। मतांतरण के नियमन वाले मध्य प्रदेश के विवादित अध्यादेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करने से इन्कार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी़ रामासुब्रमणियन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कार्यवाही के दौरान याचिकाकर्ता वकील विशाल ठाकरे से कहा, श्मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से संपर्क कीजिए। हम हाई कोर्ट के विचार जानना चाहेंगे। हमने इसी तरह के मामले वापस हाई कोर्ट भेजे हैं।श् याचिका में कहा गया कि मध्य प्रदेश का कानून लव जिहाद के नाम पर उत्तर प्रदेश द्वारा बनाए गए इसी तरह के अध्यादेश का अनुसरण करता है। यह व्यक्ति के निजता और विकल्प चुनने के अधिकार का हनन करता है जो संविधान के अनुच्टेद-14, 19(1)(ए) और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले भी इस महालांकि अदालत ने छह जनवरी को गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) सिटीजंस फार जस्टिस एंड पीस व अन्य की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के मतांतरण कानूनों के खिलाफ दायर याचिका पर दोनों राज्यों को नोटिस जारी किए थे। उसके बाद 17 फरवरी को शीर्ष अदालत ने एनजीओ को उसकी याचिका पर हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश को पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा ए हिंद को भी याचिका पर इस आधार पर पक्षकार बनने की अनुमति प्रदान कर दी थी कि इन कानूनों के तहत देशभर में बड़ी संख्या में मुस्लिमों का उत्पीड़न किया जा रहा है।

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