केंद्र और राज्य स्तर पर किसान आयोग गठित करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई जनहित याचिका
नई दिल्ली,एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दाखिल एक जनहित याचिका में किसानों के हित संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर किसान आयोग गठित करने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि शीर्ष अदालत केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक किसानों की समस्याओं पर विचार करने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर किसान आयोग गठित करे ताकि किसानों की आत्महत्या के मामलों में कमी आए।
वकील शिव कुमार त्रिपाठी की ओर से दाखिल इस याचिका में केंद्र सरकार के साथ सभी राज्यों को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में बताया गया है कि 2019 में षि क्षेत्र से जुड़े करीब 10,281 लोगों ने आत्महत्या की। नेशनल क्राइम रिकर्ड ब्यूरो के मुताबिक 1995 से 2015 के बीच 2,96,438 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की। भारत के ज्यादातर किसान कमजोर तबके से हैं और इन लोगों को संरक्षित करना राज्य का दायित्व है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून और 1993 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग कानून पारित हुआ था। इन कानूनों के तहत आयोगों का गठन हुआ, लेकिन आज तक किसानों के लिए किसी स्थायी आयोग का गठन नहीं हुआ। जबकि प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले एक आयोग की सिफारिशों में एक सिफारिश यह भी थी कि किसानों की समस्याओं पर सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए किसानों के प्रतिनिधित्व के साथ राज्य स्तर पर किसान आयोग गठित किए जाएं।
स्वामीनाथन रिपोर्ट को 15 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक किसी भी सरकार की ओर से किसान आयोग (विधायी संस्था) गठित करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। केंद्र और राज्य स्तर पर तत्काल प्रभाव ने विधायी संस्था किसान आयोग गठित किए जाने की जरूरत है जो किसानों के हितों को देखे और उनकी समस्याओं पर विचार करे।